बंद हो सकती है 'मिस द बस' * मैनेजिंग कमेटी ने की विवादित योजना से तौबा * मुद्दा यशवंत क्लब में सदस्यता का
यशवंत क्लब में 10 वर्षों से जारी 'मिस द बस' योजना के तहत सदस्यता पाने का प्रयास कर रहे पाँच सदस्यों को अपात्र करने का मुद्दा गरमाने लगा है। एनआरआई मामले की तरह यह योजना भी तूल न पकड़ ले, इसलिए अब मैनेजिंग कमेटी ने इस विवादास्पद योजना से तौबा कर ली है। भविष्य में यह योजना बंद भी हो सकती है।क्लब सदस्यता का नियम है कि सदस्य की मृत्यु के पश्चात उसके जीवन साथी को 50 हजार रुपए में सदस्यता दी जाती है। उधर सदस्यता की 'बस' पकड़ने के लिए कुछ लोगों ने पहले अपने माता या पिता को क्लब का सदस्य बनाया और फिर मिस द बस योजना के जरिए क्लब की सदस्यता के लिए खुद भी आवेदन कर दिया। जब कमेटी को प्रवेश का यह गणित समझ आया तो उन्होंने मामला विधिक समिति को सौंप दिया। जिन लोगों को अपात्र माना गया है उनके लिए यह आधार माना कि उनके माता या पिता को 23 सितंबर को हुई साधारण सभा के पहले विधिवत सदस्यता नहीं दी गई थी। इस मामले में क्लब अध्यक्ष परमजीत सिंह छाबड़ा का कहना है कि इस विवादास्पद योजना को समाप्त करने के लिए हम हाउस से आग्रह करेंगे। 31
को मिली सदस्यताउक्त विवादास्पद योजना के तहत सदस्यता के 36 आवेदन आए थे। इनमें से पहले दौर में 27 लोगों को सदस्यता दी गई लेकिन जब अन्य 9 सदस्यों के आवेदनों को बारिकी से खंगाला गया तो उसमें कई पेंच मिले। इसके बाद कमेटी ने विधिक समिति को मामला सौंप दिया। समिति ने 9 में से 4 सदस्यों को क्लीन चिट दी और 5 को अपात्र माना। अनिल अग्रवाल, दिलीप पापड़ीवाला, नरेन्द्र गौरानी, गिरीश मतलानी, श्रेया लालवानी को सदस्यता नहीं मिल पाई। पाँच वर्ष बाद क्या ये लोग सदस्यता पाने के लिए पात्र रहेंगे,़ यह भी बहस का विषय है।-नगर प्रतिनिधि