यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है तिल तिल मिटूंगा पर दया की भीख में लूंगा नहीं वरदान मांगूंगा नहीं। स्मृति सुखद प्रहरों के लिए अपने खंडहरों के लिए यह जान लो मैं विश्व की सम्पत्ति चाहूंगा नहीं वरदान मांगूंगा नहीं। क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत में संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही वरदान मांगूंगा नहीं।