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Written By WD
Last Modified: शुक्रवार, 5 अगस्त 2011 (11:21 IST)

वरदान मांगूंगा नहीं

(जयंती पर विशेष)

वरदान मांगूंगा नहीं
डॉ. शिवमंगलसिंह 'सुमन'

ND
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल तिल मिटूंगा पर दया की
भीख में लूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।

स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की
सम्पत्ति चाहूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।

क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत में
संघर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही वह भी सही
वरदान मांगूंगा नहीं।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने ह्रदय की वेदना
मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं ।

चाहे ह्रदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य-पथ से
किन्तु भागूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।