भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रमुख रचनाएँ
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भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतेंदु ने कविता, नाटक, व्यंग्य आदि विधाओं में रचनाएँ लिखी हैं। उनके कई नाटक और काव्य-कृतियाँ अपने प्रकाशन के तत्काल बाद ही प्रसिद्धि के शिखर तक पहुँच गए और आज भी उन्हें हिंदी की महत्वपूर्ण कृतियों में शुमार किया जाता है। भारतेंदु रचित कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं : नाटक -वैदिक हिंसा हिंसा न भवति (1873)भारत दुर्दशा (1875)सत्य हरिश्चंद्र (1876)श्री चंद्रावली (1876)नीलदेवी (1881)अँधेर नगरी (1881)काव्य-कृतियाँ : भक्त-सर्वस्व (1870)प्रेम-मालिका (1871)प्रेम-माधुरी (1875)प्रेम-तरंग (1877)उत्तरार्द्ध-भक्तमाल (1876-77)प्रेम-प्रलाप (1877)गीत-गोविंदानंद (1877-78)होली (1879)मधु-मुकुल (1881)राग-संग्रह (1880)वर्षा-विनोद (1880)विनय प्रेम पचासा (1881)फूलों का गुच्छा (1882)प्रेम-फुलवारी (1883)कृष्णचरित्र (1883)कुछ अन्य काव्य-रचनाएँ, जिनके प्रकाशन का समय ठीक-ठीक ज्ञात नहीं हैं :बंदर-सभा (हास्य-प्रधान काव्य कृति) बकरी का विलाप (हास्य-प्रधान काव्य कृति)दान-लीला (भक्ति-प्रधान काव्य कृति)सतसई श्रृंगार (श्रृंगार-प्रधान काव्य कृति)नोट : इसके अतिरिक्त भारतेंदु हरिश्चंद्र ने बांग्ला भाषा से ‘विद्यासुंदर’ नामक नाटक का हिंदी में अनुवाद किया था। संस्कृत से 'मुद्राराक्षस' और प्राकृत से 'कर्पूरमंजरी' नामक नाटकों का भी उन्होंने हिंदी में अनुवाद किया।