जानिए, बॉडी में कितना लोहा होना चाहिए
लोहे की कमी होना शरीर के लिए हानिकारक तो होता ही है, लोहे की अधिकता भी बहुत हानि करती है। यानी यह शरीर में होना चाहिए, लेकिन संतुलित मात्रा में। शरीर में लोहे की मात्रा 20 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, इससे अधिक होने पर शरीर में हीमोक्रोमेटिक रोग के लक्षण पनपने लगते हैं। लोहे का मुख्य कार्य खून के प्रमुख घटक लाल रक्त कणों का निर्माण करना करना है। इतना ही नहीं हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी लोहा करता है, जो शरीर के अंग-प्रत्यंगों को सुडौल बनाकर, शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।हीमोग्लोबिन क्या है हड्डियों का गूदा या अस्थिमज्जा रक्त कणों की जननी है, यानी अस्थिमज्जा में ही हर तरह के रक्त कण बनते हैं, जिनमें लाल रक्त कणों की भरमार होती है। एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में लगभग 50 लाख लाल रक्त कण होते हैं। एक बूंद खून को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त के लाल कण गोल-गोल तश्तरियों की तरह नजर आते हैं, जो किनारे पर मोटे और बीच में पतले दिखते हैं।