मैं आप सभी से यह कहना चाहता हूँ कि प्रयासों के लिए दुआएँ करें और मेरे साथ और मेरे लिए प्रार्थना करें। आज के पहले भोजन से ही उपवास शुरू होगा। यह समय कितना होगा और मैं पानी बिना नमक और नींबू के साथ पियूँगा या फिर बिना इसके ही यह अनिश्चित है।
यह तभी खत्म होगा, जब मैं संतुष्ट हो जाऊँगा कि बिना किसी बाहरी दबाव से नहीं सारे समुदायों के दिलों के मिलने से हुआ है, लेकिन कर्तव्यों के प्रति अपनी जागरूकता के साथ। भारत की कम होती प्रतिष्ठा और पूरे एशिया और पूरे विश्व में इसकी धूमिल होती प्रतिष्ठा को दुबारा प्राप्त करना ही इसका फल होगा। मैंने खुद को छला इस विश्वास के साथ कि दर्द की उम्मीद खोने के बाद तूफान उठा और विश्व भूखा हो गया। न कोई मित्र या दुश्मन भी नहीं, यदि कोई एक भी होता जो मेरे ऊपर क्रोध करता।
जो मित्र हैं वो मनुष्यों के विचार एक करने के लिए उपवास की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं करते। वो उन्हीं कार्यों को करने के लिए मुझे बाध्य करते हैं, जिन्हें वो स्वयं करने का दावा करते हैं। ईश्वर के साथ जो मेरे सर्वोच्च हैं और मेरी सलाहकार मेरी आत्मा से, मैंने यह महसूस किया कि मुझे बिना किसी की सलाह के निर्णय ले लेना चाहिए। यदि मैं गलती करता हूँ तो मैं उसे ढूँढूगा, मुझे ऐसा कहने में कोई हिचक नहीं है कि मैं अपने गलत कदमों को वापस ले लूँगा। यदि पूरा भारत या कम-से-कम दिल्ली में भी प्रतिक्रिया होती है तो यह उपवास जल्द ही खत्म हो सकता है।