'हीरोइनजी, इस कांट्रेक्ट पर साइन कीजिए!'
कैलाश सिंहार
फिल्मी पर्दे पर भले ही रिश्तों, संवेदनाओं को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती हो लेकिन वास्तविक दुनिया इतनी नर्मदिल नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री भी नहीं। चूँकि यह "इंडस्ट्री" है, सो यहाँ लाभ-हानि का गणित देखा जाना लाजिमी है। व्यवसाय के नियम-कायदों का हवाला दिया जाना अपरिहार्य है। यह बात हाल ही में ऐश्वर्या राय-मधुर भंडारकर विवाद से एक बार फिर सिद्ध हो गई।मधुर भंडारकर का कहना है कि उनकी फिल्म "हीरोइन" साइन करते वक्त अपनी गर्भावस्था की बात छुपाकर ऐश्वर्या ने उनके साथ धोखा किया और उनके पास ऐश को फिल्म से निकालकर किसी और के साथ फिल्म बनाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा। उधर ऐश्वर्या के समर्थकों का कहना है कि यह उनकी जिंदगी का सबसे हसीन पल है, इसे लेकर कोई धोखाधड़ी का आरोप कैसे लगा सकता है! यूँ इससे पहले भी कई हीरोइनें सक्रिय रहते हुए माँ बनी हैं और इससे कुछ निर्माताओं को कम या ज्यादा नुकसान भी सहना पड़ा है लेकिन संभवतः यह पहला मौका है जब किसी हीरोइन के गर्भवती होने पर इतना विवाद खड़ा हुआ। बहरहाल, बॉलीवुड के निर्माता पर्दे की परियों के माँ बनने से इस कदर घबराते हैं कि अब एग्रीमेंट में बाकायदा एक उपबंध जुड़वाने की बात हो रही है, जिसमें अभिनेत्री को साफ-साफ यह हिदायत दी जाएगी कि कांट्रेक्ट पीरियड में वह माँ नहीं बन सकती।कई निर्माता इस तरह के कांट्रेक्ट का समर्थन करते हैं। टी सिरीज के भूषण कुमार कहते हैं, "मैं एग्रीमेंट में ऐसे उपबंध का समर्थन करूँगा क्योंकि फिल्म बनाना एक बड़ा कारोबारी जोखिम है। इस जोखिम को और बढ़ाने की इजाजत किसी भी कीमत पर किसी नायक या नायिका को नहीं मिलना चाहिए।" वैसे इसके साथ ही भूषण कुमार यह भी कहते हैं कि हमारी इंडस्ट्री पूरी तरह मुँह जुबानी किए गए वादों पर ही निर्भर है, हॉलीवुड जैसे किसी उपबंध की हम यहाँ कल्पना भी नहीं कर सकते।उधर 18 पिक्चर्स के विक्रम मल्होत्रा का मानना है कि फिल्म उद्योग तभी बना रह सकता है जब निर्माताओं के हितों की रक्षा की जाए। वे चाहते हैं कि कोई लिखित अनुबंध भले ही न हो लेकिन नायिका अपने गर्भवती होने के संबंध में निर्माता को विश्वास में ले। महेश भट्ट भी परोक्ष रूप से ऐसे अनुबंध का समर्थन ही करते हैं। वे कहते हैं,"हमारी इंडस्ट्री मुँह जुबानी कहे-सुने पर यकीन रखती है। हमारे यहाँ लिखित समझौतों का चलन आम तौर पर नहीं है।" साथ ही वे मानते हैं कि निर्माता और कलाकारों के बीच एक अंडरस्टैंडिंग हर हाल में होना चाहिए, तभी दोनों का एक-दूसरे के प्रति विश्वास बनता है। अंत में भट्ट यह भी कहते हैं कि किसी भी औरत के लिए माँ बनना उसकी पहली प्राथमिकता होती है लेकिन यह प्राथमिकता उन लोगों का कोई नुकसान न करे जिन्होंने इस इंडस्ट्री में पैसा लगा रखा है।एकता कपूर दोनों तरह की बात कहती हैं। उनके अनुसार, "एक प्रोफेशनल के बतौर मैं इस तरह के उपबंध की हिमायत करूँगी लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं इसका समर्थन नहीं करूँगी।" यशराज फिल्म्स के रफीक गंगजी कहते हैं कि उनका प्रोडक्शन हाउस ऐसे किसी समझौते को अंतिम रूप नहीं देगा। वहीं कुमार तौरानी के अनुसार अब शायद इस तरह के उपबंध की जरूरत पड़े क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री बहुत दिनों तक निजी संबंधों पर टिकी नहीं रह सकती।