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Written By ND

इरशाद कामिल : प्रेम गीतों में न प्यार न इकरार!

इरशाद कामिल : प्रेम गीतों में न प्यार न इकरार! -

यूँ भी इरशाद कामिल का काम उल्लेखनीय रहा है, लेकिन इम्तियाज अली की हालिया रीलिज 'रॉकस्टार' के संगीत की लोकप्रियता में इरशाद के शब्दों का कमाल भी शामिल है। टीवी सीरियलों के लेखन के बाद डायलॉग लिखने का काम करने वाले इरशाद कामिल ने राहुल बोस-करीना कपूर अभिनीत 'चमेली' से गीत लिखने की शुरुआत की और रॉकस्टार के गीतों ने उन्हें एकदम से अर्श पर पहुँचा दिया है। हालाँकि इसकी म्यूजिक सीडी के पहले बैच में इरशाद का नाम गायब था। कंपनी ने इसे क्लेरिकल-मिस्टेक बताया था, लेकिन फिर भी लोगों ने यह जान लिया था कि ये इरशाद के गीत हैं।


हिन्दी में पीएचडी इरशाद के गीतों में हिन्दी, उर्दू के साथ-साथ पंजाबी भाषा का भी जबरदस्त उपयोग मिलता है। साड्डा हक एत्थे रख तो एक तरह से युवाओं का सिग्नेचर गीत हो गया है। इरशाद बताते हैं कि असल में इस गीत में उन्होंने अपने अंदर की भड़ास को जस-का-तस रख दिया है।

वर्बली तो हमें कहा जाता है कि आपके पास हर तरह के हक हैं लेकिन हकीकत में जरा अपने हक इस्तेमाल करके देखें तो स्पष्ट होगा कि अपने अधिकारों को इस्तेमाल करने में कितनी मुश्किलें आती हैं और इसी फ्रस्ट्रेशन से निकला है ये गीत।

ऐसा नहीं है कि इरशाद के गाने इससे पहले लोकप्रिय नहीं हुए हैं। 'जब वी मेट', 'लव आजकल', 'वंस अपॉन ए टाइम इन मुम्बई', 'अंजाना-अंजानी' और 'मौसम' में उनके लिखे गाने पसंद किए गए, लेकिन 'रॉकस्टार' की बात कुछ अलग है। असल में 'रॉकस्टार' के लिए उन्हें गहरे दार्शनिक अर्थ लिए हुए गाने लिखने थे और वो भी युवाओं की भाषा में। इसके लिए वे एआर रहमान का शुक्रिया अदा करते हैं।

इरशाद बताते हैं कि रहमान से वे पहली बार चेन्नई में मिले थे, तब उन्होंने कहा था,'तुम बहुत अच्छे गीतकार हो, लेकिन इस फिल्म के लिए तुम्हें सिर्फ गीत नहीं लिखने हैं, इतिहास लिखना है। बस दिल की सुनो और उसके पीछे चलो, व्यापार-व्यवसाय भूल जाओ।' बताया जा रहा है कि इस एक फिल्म के लिए इरशाद ने पाँच फिल्में छोड़ी हैं।

यूँ भी इरशाद ये मानते हैं कि जब आप अपने ही शब्दों को दोहराने लगें तो आपको अपने काम से कुछ दिन छुट्टी लेनी चाहिए। ये इस बात का संकेत है कि आपकी रचनात्मकता कम हो रही है और आपको फिर से खुद को खाली करने और भरने की कवायद करनी चाहिए।

वैसे ही हिन्दी फिल्मों में ज्यादातर गाने प्रेम पर ही होते हैं और इरशाद ने भी बहुत सारे प्रेमगीत लिखे हैं, लेकिन जब उन्होंने हिन्दी फिल्मों में गीतकार के तौर पर शुरुआत की थी तो कुछ चीजें तय कर ली थी। मसलन यह कि प्रेमगीतों में अब तक उपयोग में लाए जाने वाले शब्दों को अपनी शब्दावली से दूर रखेंगे, जैसे दिल, सनम, दिलरुबा, प्यार, इकरार आदि।

बॉलीवुड में ज्यादातर फिल्में प्रेम कहानी ही होती है, इसलिए वे बहुत सोच-समझकर फिल्में कर रहे हैं। इरशाद कहते हैं कि फिल्म में प्रेम को जिस तरह से ग्लैमराइज किया जाता है, युवा उसी को प्रेम समझते हैं। प्रेम का मतलब साथ घूमना-फिरना, गाना गाना है, लेकिन जब वे हकीकत में प्रेम करते हैं तब उन्हें महसूस होता है कि प्रेम सिर्फ साथ, हँसी-खुशी और नशा ही नहीं है, प्रेम दर्द भी है और प्रेम के बारे में यही वे युवाओं को बताना भी चाहते हैं। इसके लिए कई बार उन्हें फिल्मकारों को अपनी बात भी समझानी पड़ती है। वे शब्दों के विकल्प भी साथ रखते हैं।

मुन्नी और शीला जैसे गानों के बीच इरशाद के गानों ने हिन्दी फिल्म संगीत में अपनी जगह बनाई है। वे मानते हैं कि खुद इस तरह की (मुन्नी/शीला) चीजें नहीं लिख सकते हैं, लेकिन एक कलाकार होने के नाते वे दूसरे कलाकार के काम का सम्मान करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर वे समाज और खासतौर पर युवाओं के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं।

'रॉकस्टार' के गानों को लिखने के दौरान वे कई दिनों तक नॉस्टेल्जिक भी रहे। साड्डा हक एत्थे रख असल में अपने कॉलेज के दिनों में उन्हीं के द्वारा बनाया गया स्लोगन था, जो फिल्म की सिचुएशन के साथ याद आया। इम्तियाज और इरशाद की जोड़ी की यह चौथी फिल्म है और चार में से तीन फिल्मों का संगीत बहुत लोकप्रिय और यादगार रहा।

- सौरभ गुप्ता