चंद सितारों से जगमगाता बॉलीवुड का आँगन
डीजे नंदन
बॉलीवुड का नाम लेते ही कुछ चुनिंदा सितारे ही याद आते हैं, मसलन सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणबीर कपूर, इमरान खान। अभिनेत्रियों की बात की जाए तो दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चौपड़ा, ऐश्वर्या राय, सोनाक्षी सिन्हा। इन महारथियों के अलावा भी बॉलीवुड में कई प्रतिभाएँ हैं, पर अक्सर सुर्खियाँ इन्हीं सितारों के नाम रहती हैं। एकाध फिल्म हिट होने और सितारा होने का तमगा पाने के बाद बाकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर चलें या पिटें, पर दर्शक उन्हें पर्दे पर बार-बार देखना पसंद करते हैं। यही लोकप्रियता सितारों की ब्राण्ड वेल्यू में इजाफा करती है। यही वजह है कि निर्माता-निर्देशक भी अपनी फिल्मों के लिए इन्हें लेना पसंद करते हैं। इन सितारों के भरोसे ही बॉलीवुड के भविष्य के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में नए सितारों को अपनी जगह बनाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ती है या यूँ भी कह सकते हैं कि ये चंद मशहूर सितारे ही बॉलीवुड पर राज करने लगते हैं।आँकड़ों के मुताबिक चुनिंदा सितारों के दम पर बॉलीवुड हर साल अरबों-खरबों की कमाई करता है। बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है, जिससे कई अन्य उत्पादों का बाजार निर्धारित होता है। फिल्मों के हिट और फ्लॉप होने के कारण कई उत्पादों पर गहरा असर पड़ता है। यही नहीं, मल्टीप्लेक्स खोलने वाले और म्यूजिक राइट्स खरीदने वाले भी पूर्णतः बॉलीवुड पर ही टिके हैं। इनके अलावा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बॉलीवुड फिल्मों पर ६० लाख से ज्यादा परिवार निर्भर हैं। इनमें स्पॉट ब्वॉय से लेकर टिकट बेचने वाले तक सब शामिल हैं। यही कारण है कि हर कोई फिल्म के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार करता है। साथ ही उसके हिट होने की दुआ भी माँगते हैं। इन सभी घरों का खर्चा इन हीरो-हीरोइनों की बदौलत चलता है, जिन्हें हम बॉलीवुड का पर्याय मानते हैं। रियलस्टिक फिल्में बनाने के लिए मशहूर फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर इस स्थिति में चिंता जताते हुए कहते हैं कि वाकई हमारे पास कलाकारों का बहुत अभाव है। बाहर से आने वाले नए युवा कलाकारों पर कोई निर्माता पैसा नहीं लगाना चाहता है। असल में यह निर्देशकों व निर्माताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपनी फिल्मों में नई प्रतिभाओं को अवसर दें, ताकि बॉलीवुड की कमान महज चंद गिने-चुने कलाकारों के हाथों तक ही सीमित न रहे। इसके लिए बड़े बैनर्स को पहल करना चाहिए। बात सिर्फ उभरते कलाकारों को मौका देने की नहीं है वरन् हीरोइनों को इस मंच में बराबरी का हक दिलाने की भी है। उम्र ढलते ही हीरोइनों को बड़े पर्दे पर दर्शक देखना पसंद नहीं करते हैं। फिर भले ही वह कोई पॉपुलर हीरोइन ही क्यों न हो। दरअसल महत्वपूर्ण यह नहीं है कि निर्माता व निर्देशक हीरोइनों को समान भूमिकाओं में दर्शाएँ, बल्कि जरूरी यह है कि दर्शक उन्हें भी इस मंच में उतनी ही तवज्जो दें, जितना कि वे हीरो को देते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि फिल्म में हीरोइनें न हों तो फिल्में बिलकुल रूखी हो जाएँगी। अतः बॉलीवुड का भविष्य रणबीर कपूर और इमरान खान के कंधों पर डालने की बजाय और भी नए युवा कलाकारों को मौका दें। इसके अलावा हीरोइनों को भी समानाधिकार मिलना चाहिए। नए कलाकारों को मौका देने से दर्शकों को अभिनय में विविधता भी देखने को मिलेगी।