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Written By BBC Hindi
Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 11 अक्टूबर 2007 (14:04 IST)

अब डॉट एशिया डोमेन नेम भी उपलब्ध होगा

योरपीय संघ इंटरनेट डोमेन डॉट ईयू
योरपीय संघ के इंटरनेट डोमेन डॉट ईयू (.eu) की तरह अब डॉट एशिया (.asia) इंटरनेट डोमेन ने भी अब अपना कामकाज शुरू कर दिया है और उम्मीद की गई है कि यह डोमेन वेबसाइटों के नामों के लिए भारी कारोबार हासिल करेगा।

सरकारें और कंपनियाँ अब डॉट एशिया यानी .asia डोमेन पर अपने नाम और वेबसाइटें पंजीकृत करा सकती हैं और वो पता होगा-
www.namehere.asia होगा।

कंपनियाँ अपने ऐसे कारोबार या नाम के लिए डॉट एशिया पर पंजीकृत करा सकती हैं जो उनके ट्रेडमार्क हैं। उन सरकारों को भी इस डोमेन पर अपने वेबसाइट नाम पंजीकृत कराने की इजाजत होगी जो पहले से ही आरक्षित सूची में हैं। आम लोगों को भी डॉट एशिया डोमेन पर अपने वेबसाइट पते बनाने का मौका मिलेगा, लेकिन वह फरवरी 2008 से संभव हो सकेगा जब यह सेवा शुरू होगी।

व्यापक पहुँच : .asia डोमेन बनाने का काम वर्ष 2000 में शुरू हुआ था। डॉट एशिया संगठन को आधिकारिक मंजूरी अक्टूबर 2006 में मिली थी और अब आखिरकार डॉट एशिया डोमेन मार्च 2008 से काम करने लगेगा। अन्य नेट डोमेन संगठनों से हटकर .asia ने इस डोमेन का इस्तेमाल करने के लिए पंजीकरण का रास्ता नीलामी निकाला है यानी .asia का वेबसाइट पता उसे मिलेगा जो सबसे ज्यादा कीमत अदा करेगा।

.asia का भौगोलिक दायरा ऑस्ट्रेलिया से मध्य पूर्व तक फैला हुआ है। कुल मिलाकर ऐसे बीस संगठन .asia में शामिल हैं, जो कुछ विशिष्ट देशों के डोमेन चलाते हैं और वे .asia डोमेन को कामयाब बनाने में जुटे हुए हैं।

यूरोपीय संघ का इंटरनेट डोमेन .eu अप्रैल 2006 में शुरू हुआ था और उसके बाद .asia दूसरा ऐसा डोमेन है, जो किसी महाद्वीप के नाम पर चलेगा। इनके बाद अफ्रीका और लातिनी अमेरिका के भी इंटरनेट डोमेन बाजार में आने की संभावना है। हालाँकि एशिया में बहुत सी भाषाएँ बोली जाती हैं लेकिन .asia में फिलहाल लातिनी वर्णमाला का ही इस्तेमाल होगा। भविष्य में एशियाई भाषाओं में भी डोमेन नाम देने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह कब होगा, इस बारे में डॉट एशिया संगठन ने कुछ नहीं कहा है।

इंटरनेट के नामों पर नजर रखने वाली संस्था इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर एसाइंड नेम्स एंड नंबर्स यानी आईकॉन्ना ऐसी प्रणाली का परीक्षण कर रहा है,जिसमें नेट नामों में स्थानीय वर्णमाला का हिन्दी, अरबी, फारसी, सरल चीनी, परंपरागत चीनी, रूसी, ग्रीक, कोरियाई, जापानी और तमिल भाषाओं का परीक्षण कर रहा है।