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Written By ND

बदलाव पर सवार, ओबामा सरकार

बदलाव पर सवार, ओबामा सरकार -
अमेरिका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा जानते हैं कि विश्वशक्ति की हॉट सीट पर बैठने का मतलब क्या होता है? वे यह भी जानते हैं कि अमेरिका इन दिनों अच्छे दौर से नहीं गुजर रहा है।

  बदलाव की उम्मीद और आम अमेरिकी के मन की भावनाओं पर सवार होकर बराक ओबामा अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनें हैं। आम अमेरिकी उनसे दिल लगा बैठा है और चाहता है कि बराक अमेरिका की छवि को बदलें, विश्व में अमेरिका दोस्त की भूमिका निभाए, मंदी से उबारे      
हर दिन एक बड़ी कंपनी के दिवालिया होने की खबर आ रही है। कई कंपनियाँ सरकारी मदद के लिए लाइन लगाए खड़ी है। इराक मसले पर सारी दुनिया की नजर टिकी है कि वे अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्लू. बुश के फैसलों से वे किस तरह निपटते हैं।

मंदी, आतंकवाद के खतरों के साथ-साथ ओसामा बिन लादेन की खोज भी अमेरिका के सामने बड़ा सवाल है। उनके लिए सिर्फ मुद्दे से निपटना ही काफी नहीं है, चुनावी वादों को भी ओबामा को ध्यान में रखना है क्योंकि शपथ के बाद हनीमून मात्र कुछ घंटों तक चलेगा और वादों की फेहरिस्त लेकर जनता उम्मीद लगाए व्हाइट हाउस की ओर देखेगी।

ओबामा ऐसे समय अमेरिका की कमान संभाल रहे हैं, जब घरेलू और बाहरी समस्याएँ चरम पर हैं। अगर ओबामा इन पर अगले कुछ महीनों में काबू पाने में थोड़े भी कामयाब हो जाते हैं तो निश्चित रूप से अमेरिकी जनता का ओबामा प्रेम काफी लंबे समय तक चल सकता है।

आम जनता से भी मुलाकात : ओबामा शपथ लेने के बाद आम जनता से भी मिलेंगे। दरअसल व्हाइट हाउस में वे चुनिंदा 200 लोगों से ही मिलेंगे। इनका चुनाव वेबसाइट के माध्यम से किया गया है, जिन्होंने पहले से अपना रजिस्ट्रेशन कराया था।

वैदिक ऋचाएँ भी गूँजेंगी : ओबामा द्वारा मंगलवार को शपथ ग्रहण करने के बाद 21 जनवरी को विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया है। नेशनल प्रेयर सर्विस के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसकी शुरुआत जॉर्ज वाशिंगटन के समय से हुई थी। प्रार्थना सभा में सभी धर्मों के अनुयायियों और प्रमुख भाग लेते है। इसमें पारंपरिक प्रार्थना होती है व राष्ट्र के लिए अलग से प्रार्थना की जाती है।

क्वायर ग्रुप द्वारा प्रस्तुति दी जाती है और यह पहली बार हो रहा है कि इसका नेतृत्व पहली बार एक महिला कर रही हैं। यही नहीं, न्यूयॉर्क के फ्लशिंग स्थित हिन्दू टेम्पल की डॉ. उमा माइसोरकर भी इसमें भाग लेंगे और अपना संदेश देंगी, जिसमें निश्चित रूप से वैदिक ऋचाओं का समावेश भी होगा।

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