श्री शनि आरती- चार भुजा ताहि छाजे
चार भुजा ताहि छाजे, गदा हस्त प्यारी न
जय शनिदेव की।।
रवि नंदन गज वंदन, यम् अग्रज देवा
कष्ट न सो नर पाते, करते तब सेना न
जय शनिदेव की।।
तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे
तुम से विमुख जगत में, सुख नहीं पावे न
जय शनिदेव की।।
नमो नमः रविनंदन सब गृह सिरताजा
बंशीधर यश गावे रखियो प्रभु लाजा न
जय शनिदेव की।।