1930 में, 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने की शुरुआत हुई। 1930 से अगले 17 सालों तक, 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। फिर, आजादी मिलने के बाद, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। इसकी भी अपनी एक कहानी है।
पूरी कहानी:
31 दिसंबर, 1929 को रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन आयोजित किया गया। यह वो दौर था जब देश में स्वराज की मांग तेज हो रही थी। पंडित नेहरू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सभा में मांग उठी कि ब्रिटिश सरकार भारत को डोमिनिक स्टेट का दर्जा दे दे। सभा में शामिल लोगों ने एक स्वर में इस मांग का समर्थन किया और शपथ ली कि हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। इस घोषणा का सीधा असर स्वतंत्रता संग्राम और सेनानियों के मन पर पड़ा। देश में चेतना जागृत हुई, और स्वतंत्रता संग्राम ने रफ्तार पकड़ी, जिसका असर कई सालों तक देखा गया।
इस तरह, आंदोलन और तेज होने लगा। पूरे जोश के साथ हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। कहा गया कि यह सिलसिला तब तक चलता रहेगा, जब तक देश अंग्रेजों से आजाद नहीं हो जाता। इस तरह, 26 जनवरी प्रतीकात्मक रूप से स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
क्यों हुआ बदलाव?
15 अगस्त 1947 को जब आजादी मिली तो स्वतंत्रता दिवस की अहमियत को बरकरार रखने का मुद्दा उठा। इसकी गरिमा को बरकरार रखने के लिए आजादी की तारीख को भी स्वतंत्रता दिवस की तारीख चुनने की योजना बनाई गई। 26 जनवरी 1950 में जब देश में संविधान को लागू किया गया तो इसे खास दिन मानते हुए गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। तब से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
देश का संविधान बनाने में सभा के 389 सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी सदस्यों की विशेषज्ञता को संविधान में शामिल किया गया। जिसका अंतिम मसौदा डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान सभा में रखा। संविधान सभा का प्रारूप तय होने के बाद संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर अपने-अपने दस्तखत किए और इसे 26 जनवरी को लागू कर दिया गया। इस तरह यह एक ऐतिहासिक दिन बन गया।
संविधान के लिए भी एक खास दिन तय किया गया, जिसे संविधान दिवस और नेशनल लॉ डे के नाम से भी जाना गया। हालांकि संविधान दिवस की नींव साल 2015 में रखी गई। इसी साल 2015 को भारत सरकार ने गजट नोटिफ़िकेशन के ज़रिए 26 नवंबर की तारीख को संविधान दिवस के रूप में दर्ज की। इसी साल पहला संविधान दिवस मनाया गया, जिसे संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए मनाया गया।
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