दहशत के स्थलों पर पर्यटकों का जमावड़ा
26/11 के हमलों के स्थलों पर पहुँचे पर्यटक
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/11 का मुंबई आतंकी हमला जहाँ एक कड़वी याद बनकर हमारे जेहन में सदा के लिए अंकित हो गया है। वहीं यह हमला मुंबई पर्यटन के लिए एक आशा की किरण बनकर आया है। पिछले वर्ष 26 से 29 नवंबर तक मुंबई में आतंक की जो दहशत फैली थी। उसके चलते कई देशी व विदेशी पर्यटकों ने मुंबई से किनारा कर लिया था। आज फिर से वे ही पर्यटक मुंबई की सैर को निकल पड़े हैं। तब और अब में बस अंतर इतना है कि हमलों की इस बरसी पर अब पर्यटकों के लिए 'मुंबई के दर्शनीय स्थलों' से अधिक 'मुंबई आतंकी हमलों के स्थल' दर्शनीय बन गए है। पिछले वर्ष आतंकियों की गोलियों व बम धमाकों के निशान आज भी इन गलियों में देखे जा सकते हैं। आज भी आते-जाते रहागीर हाथों के संकेतों के साथ यह चर्चा करते सुनाई पड़ते है कि 'पिछले वर्ष इस जगह हमला हुआ था और कई लोगों की जानें गई थी।' यह मुंबईवासियों का जुनून व हिम्मत ही थी कि इन हमलों के बाद मुंबई फिर से जागी व एकजुट होकर मुबंईवासियों ने आतंक का विरोध किया। आज भी मुंबई के कैफे व होटलों में उन धमाकों में गोलीबारी के निशान जस के तस काबिज है, जो हमें उन दिल दहला देने वाले दृश्यों की याद दिलाते हैं। आइए एक नजर डालते हैं मुंबई के उन स्थलों पर, जो मुंबई आतंकी हमले का केंद्र बने थें - होटल ताजमहल पैलेस एवं टॉवर : 105
वर्ष पुराना मुंबई का यह प्रसिद्ध होटल आज भी अपनी शानदार विरासत और शानो-शौकत के लिए जाना जाता है। समुद्र तट के किनारे कोलाबा में बसा 565 कमरों का यह आलीशान फाइव स्टार होटल मुबंई की शान भी कहा जाता है। इस होटल के साथ सदा से प्रसिद्ध हस्तियों के नाम जुड़ते रहे हैं। फिर चाहे वह कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष ही क्यों न हो। यह होटल बिल क्लिंटन, नार्वे के राजकुमार, माइक जैगर, जॉन कॉलिन्स जैसी कई बड़ी शख्सियतों की मेजबानी कर चुका है।
रतन टाटा के इस होटल को मुंबई के पूँजीपतियों का 'मीटिंग स्थल' भी कहा जाता है। इस होटल में ठहरना व लंच या डिनर करना आज भी उच्च स्टेटस का प्रतीक माना जाता है। बहुत पहले से ही आतंकीयों की काली नजर इस जगह पर रही है। 26 नवंबर को हुए हमलों में आतंकियों ने मुंबई के इस आलीशान होटल में घुसकर गोलीबारी व धमाके किए थे तथा कई लोगों को बंधक भी बनाया था। हमले के समय लगभग 450 लोग इस होटल के अलग-अलग कमरों में ठहरे हुए थें। 25 अगस्त 2003 में टैक्सी बम विस्फोट भी होटल ताज पैलेस के निकट स्थित 'गेटवे ऑफ इंडिया' पर ही हुआ था। लियोपोल्ड कैफे एण्ड बार : मुंबई के कोलाबा स्थित यह कैफे विदेशी पर्यटकों का पसंदीदार कैफे और बॉर है। यह मुंबई का बहुत पुराना और फेमस कैफे है। जिसकी स्थापना सन् 1871 में ईरानियों के द्वारा की गई थी। यह स्थान विदेशी पर्यटकों व मुंबई में काम करने वाले विदेशीयों का एक हैंग ऑउट भी कहा जाता है। लियोपोल्ड कैफे 26/11 के मुंबई हमले का पहला स्थान था। इस कैफे की प्रसिद्धि ग्रेगरी डेविड रॉबर्ट्स का कैफे से नाम जुड़ा होने के कारण भी है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल : ब्रिटिश शैली में बना खूबसूरत छत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुंबई का एक प्रमुख रेल्वे स्टेशन है। खूबसूरती व वास्तुकला की दृष्टि से यह देश का एक उम्दा रेलवे स्टेशन है। इस रेल्वे स्टेशन की डिजाइन सन् 1887-88 में फैड्रिक विलियम स्टीवन ने बनाई थी, जिन्हें उस वक्त इस कार्य के लिए लगभग 16.14 लाख रुपए दिए गए थे। इस स्टेशन को बनकर तैयार होने में लगभग 10 वर्ष का समय लगा था। उस वक्त यह रेल्वे स्टेशन 'विक्टोरिया टर्मिनल' के नाम से प्रसिद्ध था। सन् 1996 में जब 'शिवसेना' इस रेल्वे स्टेशन के नाम को बदलने के लिए अपने स्वर मुखरित किए थें, तब से राज्य सरकार ने इसका नाम 'छत्रपति शिवाजी टर्मिनल' किया था। यूनेस्कों ने वर्ष 2004 से इस रेल्वे स्टेशन को 'वर्ल्ड हेरिटेज' के रूप में शामिल किया है। 26
नवंबर के दिन छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर भी आतंकियों ने गोलीबारी कर खून की होली खेली थी तथा 50 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारा था। आज भी मुंबई आने वाले पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान आतंकी गतिविधियों के शिकार बने इस रेलवे स्टेशन की ओर रूख जरूर करते हैं। आज भी काबिज है गोलीबारी के निशान : मुंबई हमला जहाँ मुंबई के लिए जन और धन की हानि का पर्याय बना, वहीं यह हमला यहाँ के टैक्सी ड्रायवरों व ट्रैवल गाइडों के लिए कमाई का एक जरिया भी बना। आज भी 26/11 के हमलों में गोलीबारी के निशान व हमलों के स्थल पर्यटकों के लिए सुरक्षित किए गए है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को आज भी नरीमन हाउस, कामा हॉस्पिटल आदि स्थानों पर गोलीबारी के निशान देखने को मिलेंगे। लेकिन एके 47 से गोलीबारी के इन निशानों को देखने के लिए आपको 2,000 तक चुकाने पड़ सकते हैं। कई टूरिस्ट गाइड के लिए ये स्थल अब कमाई की एक अच्छी जगह बन रहे हैं। क्वीन्स नेकलेस, मरीन ड्राइव आदि स्थलों से होकर भी पर्यटक गुजरते हैं। यहाँ से होटल ओबेराय ट्राइडेंट को देखते हैं, जो इन हमलों का निशाना रही है। इसके अलावा मुंबई धमाकों के आरोपी अजमल कसाब की गिरफ्तारी के स्थल गिरगाँव चौपाटी को भी पर्यटक देखना पसंद करते हैं।इसी के साथ ही बहुत से पर्यटक 'रंग भवन लेन' का भी रूख करते हैं, जहाँ मुंबई पुलिस के जाबाँज सिपाही हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और अशोक कामठे आतंकियों (अजमल कसाब और अबू इस्माइल) से मुतभेड़ में शहीद हुए थे। इसके अलावा यहूदियों का समुदायिक केंद्र 'नरीमन हॉउस' देखने के लिए भी काफी देशी-विदेशी पर्यटक आते है। मुंबई आने वाले पर्यटक अब केवल मुंबई की प्रसिद्ध इमारतों व यहाँ की लाइफस्टाइल की ही तारीफ नहीं करते हैं बल्कि वे मुंबई के लोगों के जुनून को भी सलाम करने यहाँ आते हैं। जी हाँ, यह वही मुंबई है, जिसने पिछले दस सालों में कई आतंकी हमलों को सहा है पर फिर भी मुंबई की गति नहीं रूकी। 26
/11 के हमलों ने उस वक्त मुंबई पर्यटन को एक बड़ा झटका दिया था परंतु इस झटके ने उन स्थलों को भी पर्यटनस्थल के रूप में उभार दिया है, जो इन हमलों का केंद्र रहे थें। आज मुंबई आने वाला हर पर्यटक इन नवीन पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर मुंबई हमलों के उन दर्द भरे दिनों की यादों में खो जाता है, जिसका बयान उनके ट्रैवल गाइड करते हैं। यही कारण है कि 26/11 के बाद फिर से देशी-विदेशी पर्यटकों ने मुंबई का रूख करना शुरू कर दिया है।