शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. ऑनलाइन पत्रकारिता का डेढ़ दशक
  3. वेबदुनिया के 15 वर्ष
  4. Webdunia Hindi
Written By
Last Updated : शनिवार, 20 सितम्बर 2014 (17:22 IST)

इंटरनेट पर हिन्दी का ध्वजवाहक

इंटरनेट पर हिन्दी का ध्वजवाहक - Webdunia Hindi
-अरविन्द शुक्ला 
वे दिन अब लद चुके हैं, जब हम किसी सायबर कैफे में बैठे-बैठे मातृभाषा हिंदी की कोई बेबसाइट ढ़ूंढते रह जाते थे और तब कोई साइट तो दूर अंतरजाल यानी इंटरनेट पर हिंदी की दो-चार पंक्तियां पढ़ पाने की साध भी पूरी नहीं हो पाती थी। अब इंटरनेट पर हिंदी की दुनिया दिन-प्रतिदिन समृद्ध होती जा रही है। हिंदीप्रेमियों की लगभग शिकायतें अब दूर हो चुकी हैं। वे घर में बैठे-बैठे हिंदी में ई-मेल कर सकते हैं, दूर देश में बस गए किसी आत्मीय-जन से घंटों हिंदी में वार्तालाप (चैटिंग) कर सकते हैं, रोज हिंदी के दैनिक समाचारपत्र बांच सकते हैं।
 
इतना ही नहीं रोजगार, शिक्षा, करियर, चिकित्सा, योग, इतिहास आदि किसी भी विषय की जानकारी पलक झपकते ही लोग ले और दे सकते हैं। और यही नहीं, कभी भी समान रुचि वाले सैकड़ों मित्रों के साथ किसी प्रासंगिक मुद्दे पर एक दूसरे को लाइव देख-सुन सकते हैं यानी विचार-विमर्श कर सकते हैं। वेबदुनिया प्रथम हिन्दी पोर्टल के रूप में जब से स्थापित हुआ है, नित्य नए प्रयोगों से चर्चा में है।
  
वेबदुनिया का पता अब देवनागरी में : विश्व के पहले हिन्दी पोर्टल वेबदुनिया डॉटकॉम का यूआरएल (URL) पता अब देवनागरी लिपि में भी टाइप किया जा सकता है। वेबदुनिया की नींव 23 सितम्बर 1999 को दुनिया के पहले भारतीय हिन्दी पोर्टल के रूप मे हुई थी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 21 अगस्त से ही देवनागरी डोमेन देने की शुरुआत की है। गत पन्द्रह वर्षों से हिन्दी का परचम बुलंद करने वाले वेबदुनिया के पाठकों के लिए यह समाचार काफी उत्साहजनक है क्योंकि अपनी मातृभाषा हिन्दी से प्रेम करने वालों के लिए हिन्दी में यूआरएल टाइप करना निश्चित ही एक रोमांचक अनुभूति है। साथ ही देसी डोमेन की शुरुआत को करोड़ों की इंटरनेट आबादी वाले भारत में वेब क्रांति के नए चरण की शुरुआत माना जा सकता है। वेबदुनिया के हिन्दी डोमेन के रजिस्टर होने के बाद अब वेबदुनिया के पाठक इसे देवनागरी में टाइप करके भी खोल सकते हैं। हालांकि अभी लंबी दूरी तय की जानी है। 
 
वेबदुनिया ने पोर्टल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। ऐसे कई देश हैं जहां अंग्रेजी भी बोलचाल में नहीं है वहां के प्रवासी भारतीयों को नेट पर हिंदी में वेबदुनिया.कॉम देखकर जो सुखद आश्चर्य होता है उसकी कोई सीमा नहीं है। वेबदुनिया ने पोर्टल के रूप में अपने नाम के अनुरूप हर क्षेत्र को समेटा है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय समाचारों से खेल जगत तक, महिलाओं के संसार से साहित्य जगत तक, बच्चों की दुनिया से बॉलीवुड तक, करियर से लेकर ज्योतिष तक धर्म आध्यात्म से लेकर एनआरआई खबरों तथा लाइफ स्टाइल तक...सूची बहुत लंबी है।
 
सुखद सत्य तो यह है कि हिंदी ने कंप्यूटर के क्षेत्र में अंग्रेजी का वर्चस्व तोड़ डाला है और हिंदीभाषी कंप्यूटर का (इंटरनेट का भी) प्रयोग अपनी भाषा में कर सकता हैं, वह भी अंगरेजी भाषा में दक्ष हुए बगैर। वेबदुनिया ने प्रथम हिन्दी सर्च इंजन बनाकर यह मिथ तोड़ दिया कि हिन्दी अंग्रेजी से किसी मायने में कम नही है। 
 
वेबदुनिया ने उत्तर प्रदेश में कई अहम प्रयोग किए, जिन्होंने सफलता के नए आयाम स्थापित किए। वर्ष 2000 में उत्तरप्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित दसवीं तथा बारहवीं बोर्ड के सर्वप्रथम परीक्षा परिणाम इंटरनेट पर दिखाकर नए युग का आगाज किया। बोर्ड की इस परीक्षा में लगभग 35 लाख से अधिक विद्यार्थी सम्मिलित हुए थे। 
 
वर्ष 2001 में प्रयाग कुंभ पर उत्तरप्रदेश सरकार के साथ ऑफिशियल वेबसाइट बनाकर शानदार कंटेंट उपलब्ध कराकर विश्वव्यापी प्रशंसा अर्जित की थी। कुंभ की इस वेबसाइट का उद्‌घाटन तत्कालीन मुखयमंत्री राजनाथसिंह ने किया था। प्रयाग कुंभ के दौरान कुंभ मेले में इन्टरनेट का प्रचार प्रसार करने के लिए सरकार और वेबदुनिया ने संयुक्त प्रयास कर मीडिया कैंप का संचालन किया था। वेबदुनिया लखनऊ शहर के पेज का तत्कालीन कैबिनेट मंत्री लालजी टंडन ने लोकार्पण कर राजधानी लखनऊ के इतिहास तथा तथ्यात्मक जानकारियों को समेटने का प्रयास किया था।
 
इसी वर्ष वेबदुनिया ने देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर 2001 के अवसर पर देश के जनमानस के शुभ कामना संदेश वेबदुनिया के माध्यम से अटलजी तक पहुंचाने का अनूठा कार्य किया। सैकड़ों पृष्ठों से युक्त युक्त देशभर से आए शुभकामना संदेशों को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी तक पहुंचाने का काम वेबदुनिया ने राजभवन लखनऊ को देकर अपना संकल्प पूरा किया था। 
 
इंटरनेट और वेबदुनिया की बढ़ती लोकप्रियता देख तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथसिंह ने वेबदुनिया में ऑनलाइन चैटिंग कर देश दुनिया के लोगों के प्रश्नों व जिज्ञासाओं का जवाब देकर सीधे जनसंवाद कर राजनीति के क्षेत्र में अपना अलग स्थान बनाया था। इसके बाद तो वेबदुनिया की सफलता दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी। एक बार तो जब जुलाई 2001 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ आगरा में देश के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के साथ ऐतिहासिक भारत-पाक शिखर वार्ता के लिए आने वाले थे तब वहां आगरा में मीडिया सेंटर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार वेबदुनिया के साथ मिलकर प्रचार प्रसार करना चाहती थी किन्तु अपरिहार्य कारणों से ऐसा न हो सका। 
 
वेबदुनिया ने पिछले 15 सालों में अपना कायाकल्प किया है। इस पोर्टल ने वीडियो समाचार, यू-ट्‌यूब, ट्‍विटर, फेसबुक और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी धाक जमा रखी है। आशा ही नहीं विश्वास है कि आने वाले समय में सूचना क्रांति का संवाहक बनकर वेबदुनिया सफलता के नए शिखर पर पहुंचेगा। (लेखक उत्तरप्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष हैं)