गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. करियर
  4. »
  5. गो- गेटर्स
  6. देश के पांच ‍चर्चित युवा नेता
Written By WD

देश के पांच ‍चर्चित युवा नेता

Young Generation in Politics | देश के पांच ‍चर्चित युवा नेता
कई आंतरिक मुद्दे और राजनीतिक उठापटक के बावजूद भारत को दुनिया का तेजी से तरक्की करने वाला देश कहा जा रहा है। भारत को युवाओं से बहुत आशा है और पिछले कुछ सालों में देश में जिस तरह के नीतिगत बदलाव हुए हैं, उनमें युवाओं की भागीदारी रही है।

आज देश के राजनीतिक दल युवा नेतृत्व को बढ़ावा दे रहे हैं। हर पार्टी के पास युवा शक्ति और युवा नेतृत्व को आगे लाने का एजेंडा अहम है। जानते हैं भारत के पांच प्रमुख युवा नेताओं के बारे में।

राहुल गांध


FILE
राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होने से पहले युवा नेतृत्व की बातें जरूर होती थीं, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक दलों के एजेंडे में मुख्य तौर पर शामिल नहीं था, लेकिन राहुल गांधी ने कांग्रेस की ताकत बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर युवाओं को पार्टी में शामिल करने के प्रोग्राम चलाए।

युवा शक्ति से जनाधार बढ़ाने के लिए नवंबर 2008 में राहुल गांधी ने बकायदा इंटरव्यू करके अपनी टीम के 40 सदस्यों का चुनाव किया, जो भारतीय युवा कांग्रेस का काम देखते हैं। आज युवा नेता के तौर पर राहुल सबसे ज्याद चर्चित चेहरा है।

2003 में राहुल गांधी राजनीति में सक्रिय हुए और इसके एक साल बाद उन्होंने अपनी खानदानी लोकसभा सीट अमेठी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के कई इलाको में आम आदमी के मुद्दों को समझने के लिए यात्राएं कीं। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में भले ही राहुल गांधी का असर उतना नहीं रहा हो, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 80 में से 21 सीटें जीतकर अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारा।

दलितों के घर खाना खाना, खटिया पर रात बिताना, भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर आंदोलन करना, आदि राहुल के लोगों से जुड़ने के अपने तरीके हैं। हालांकि विरोधी राजनीतिक दल उनके इस तरीके को ढोंग करार देते हैं, लेकिन राहुल से युवा जुड़ रहे हैं और कांग्रेसी उन्हें बिना किसी विरोध के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं।

वरुण गांध


संजय गांधी-मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय महासचिव हैं। गांधी परिवार से होने के बावजूद उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की। वरुण गांधी और मेनका गांधी के बारे में एक चर्चित तथ्य है कि एक परिवार में दो सदस्य और दोनों ही सांसद।

FILE
जनलोकपाल विधेयक को समर्थन देने वालों में वरुण गांधी का नाम आगे की पंक्ति में रहा। जब दिल्ली सरकार ने अन्ना हजारे को अनशन करने के लिए स्थान देने से मना कर दिया तो वरुण गांधी ने अन्ना को अपने निवास स्थान पर अनशन करने की पेशकश की। हालां‍कि अन्ना ने उनकी इस पेशकश को ठुकरा दिया।

वरुण को भगवा राजनीति के कारण अपार जनसर्थन मिला। 2009 में पीलीभीत में एक जनसभा में वरुण का 'हाथ काटने वाला' बयान काफी विवादों में रहा। बाद में इसी मुद्दे पर मायावती सरकार ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। माना जाता है कि इस घटना के बाद वरुण का राजनीतिक कद काफी बढ़ गया और इसी के मद्देनजर भाजपा ने उन्हें अपने युवा चेहरे की तरह पेश करते हुए संगठन में अहम पद दिया।

सचिन पायल


राहुल गांधी की युवा टीम के अहम सदस्य सचिन पायलट को भी राजनीति विरासत में मिली। अपने दिवंगत पिता राजेश पायलट के राजनीतिक वारिस के तौर पर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2002 में पार्टी की औपचारिक सदस्यता दी और 2004 में राजस्थान के दौसा से लोकसभा चुनाव लड़वाया। वर्तमान में सचिन अजमेर लोकसभा सीट से सांसद हैं।

FILE
कांग्रेस ने जब भी युवा कार्ड खेला सचिन पायलट को अहमियत दी गई। पायलट भारत के सबसे युवा सांसद भी रहे, जब वे केवल 26 साल की उम्र में दौसा लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए।

यूपीए सरकार में सचिन संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री मंत्री हैं। उनके पिता भी यह पद संभाल चुके हैं। नेतृत्व के रूप में सचिन की पहचान तेजी से बन रही है।

राज ठाकर


महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का गठन करके राज ठाकरे ने बहुत ही कम समय में क्षेत्रीय राजनीति में शिवसेना को कड़ी चुनौती दी है। राज ठाकरे ने अपने तथाकथित महाराष्ट्र बचाओ अभियान में युवाओं का खासा समर्थन हासिल किया है। मराठी लोगों को रोजगार में प्राथमिकता और मराठी भाषा के उपयोग जैसे मुद्दों पर राज ठाकरे उग्र राजनीति करने के लिए विवादों में रहते हैं।

FILE
अपने काका और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से अलग होकर राज ठाकरे ने मराठी मानुष के नाम पर क्षेत्रीय राजनीति को बढ़ावा दिया और शिवसेना से अलग महाराष्ट्र नव निर्माण सेना बनाई।

राज ठाकरे का यह दल कई बार मीडिया हाऊस और उत्तर भारतीयों पर अपना कहर बरपा चुका है। 2008 में ठाकरे ने मुंबई में रह रहे बिहार, उत्तरप्रदेश के साथ अन्य उत्तर भारत के लोगों के खिलाफ हिंसक आंदोलन चलाया। वर्तमान में वे मुंबई में उत्तर भारतीय ऑटो रिक्श चालकों के खिलाफ आंदोलन (?) चला रहे हैं।

अखिलेश याद


पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव के नाम पर बतौर नेता कोई खास उपलब्धि तो है नहीं, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी का युवा चेहरा कहा जा सकता है।

FILE
वे उत्तरप्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से लगातार तीन बार (2000, 2004 और 2009) समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए हैं।

इंजीनियरिंग में डिग्री ले चुके अखिलेश को उत्तरप्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर समाजवादी पार्टी का प्रादेशिक अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि नेतृत्व करने के मामले में वे अब तक असरदार साबित नहीं हुए हैं और उनकी देखरेख में उनकी पत्नी डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अभिनेता राज बब्बर के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद अखिलेष अगामी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के युवा कार्ड हैं।