जवाहर नवोदय विद्यालय
वेबदुनिया डेस्क
देश में ऐसे प्रतिभाशाली और ग्रामीण बच्चे जो निर्धनता या साधनों के अभाव में पढ़ नहीं सकते उन्हें नि:शुल्क स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत जवाहर नवोदय विद्यालय की कल्पना की।वर्ष 1986-86 में प्रयोगात्मक 2 नवोदय विद्यालयों की शुरुआत की गई। आज देश में करीब 500 जवाहर नवोदय विद्यालय संचालित हैं। यह विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। भोपाल, चंडीगढ़, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ पटना, पुणे तथा शिलांग में इसके आठ संभागीय कार्यालय हैं।ये कार्यालय अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले जवाहर नवोदय विद्यालयों का संचालन करते हैं। इन विद्यालयों में कक्षा 6टी से 12वीं तक शिक्षा के साथ रहने और भोजन और खेलकूद की भी नि:शुल्क व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। नवोदय विद्यालयों में 75 प्रतिशत ग्रामीण और 25 प्रतिशत शहरी बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इन विद्यालयों में चयनित प्रतिभाशाली बच्चे उच्च कोटि के शिक्षकों द्वारा उत्कृष्ट शिक्षा हासिल करते हैं। चयन का आधार- इन विद्यालयों में प्रवेश के लिए हर वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा एक योग्यता परीक्षा आयोजित की जाती है। जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त विद्यालय से 5वीं कक्षा उत्तीर्ण और 9 से 13 वर्ष की आयु वाले बच्चे परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। विद्यालयों में कक्षा 9वीं में भी प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। परीक्षा अखिल भारतीय और जिला तथा ब्लॉक स्तर पर आयोजित होती है। इस परीक्षा का उद्देश्य यह रहता की प्रतिभावान ग्रामीण बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। परीक्षा का माध्यम 20 भाषाओं में से एक होता है।यह परीक्षा बहु वैकल्पिक एवं लिखित होती है। परीक्षा का समय तीन घंटे रहता है। प्रश्न पत्र में भाषा, मानसिक योग्यता और अंक गणित से संबंधित प्रश्न होते हैं। भारत में अनेक प्रतिभावान बच्चे सुविधाओं के अभाव में प्रारंभिक शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों के संपूर्ण विकास और उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से ही सरकार ने नवोदय विद्यालयों की स्थापना की। कई निर्धन और ग्रामीण प्रतिभावान बच्चे इन आवासीय विद्यालयों में रहकर उच्च कोटि की शिक्षा के साथ खेल और अन्य गतिविधियों में शामिल होकर अपने जीवन के साथ भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।