बचाइए अपनी पीठ को!
अविनाश चावला
नई जीवनशैली से उपजी स्वास्थ्यगत समस्याओं में पीठ दर्द एक प्रमुख समस्या के रूप में उभरा है। हममें से हर एक कभी-न-कभी इससे ग्रस्त होता ही है। आजकल ऑफिसों में अधिकांश काम कम्प्यूटर पर अथवा उसके बिना भी घंटों लगभग एक ही मुद्रा में बैठे-बैठे किए जाते हैं। दफ्तर तथा बाहर के अन्य कामों से जब हम थक-हारकर घर आते हैं, तो यहाँ भी हम गलत-सलत मुद्रा में सुस्ताने बैठ जाते हैं, अधलेटी अवस्था में टीवी देखते हैं या फिर फोन पर लंबी वार्तालाप करते हैं। पहले की जीवनचर्या में जिन सामान्य गतिविधियों से हमारा स्वास्थ्य बना रहता था, वे गतिविधियाँ भी नई जीवनशैली की भेंट चढ़ चुकी हैं। नतीजा यह है कि पीठ दर्द के पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। सितम यह कि इस दर्द में उठते-बैठते, चलते-फिरते कहीं चैन नहीं मिलता। कई लोग तो बरसों इस दर्द को ढोते रहते हैं, कच्चे-पक्के कई तरह के इलाज कराते हैं, नीम-हकीमों तक के चक्कर में पड़ जाते हैं लेकिन राहत के लिए तरसते रह जाते हैं। यूँ तो यह बात हर रोग पर लागू होती है कि उपचार से बचाव बेहतर है लेकिन पीठ दर्द के मामले में शायद यह सबसे पहले लागू होती है। पीठ दर्द के इलाज का कोई एक सर्व-स्वीकार्य तरीका नहीं हो सकता क्योंकि इस दर्द के कारण कई तरह के हो सकते हैं। समस्या आपकी मांसपेशी में भी हो सकती है और रीढ़ की हड्डी में भी, गलत तरीके से बैठने के कारण भी हो सकती है और गलत तरह से भारी वजन उठाने के कारण भी। अधिकांश लोग पीठ दर्द होने पर कोई दर्द निवारक गोली खाकर या मल्हम लगाकर दर्द से छुटकारे की उम्मीद करते हैं लेकिन यह तो लक्षण का इलाज करना हुआ, दर्द के मूल कारण का नहीं। इसी वजह से पीठ दर्द बरसों-बरसों तक साये की तरह इसके शिकार के साथ लगा रहता है। तो कुल मिलाकर बात यहीं पर आकर ठहरती है कि पीठ दर्द आपको जकड़े, उससे पहले आप उसके खिलाफ किलेबंदी कर लें। इसके लिए आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे और फिर उन्हें कायम भी रखने होंगे।कसरत करते रहेंपीठ दर्द से बचने के लिए शारीरिक सक्रियता बनाए रखना बहुत जरूरी है। अपने लिए एक उचित एक्सरसाइज शेड्यूल बना लें और उसका नियम से पालन करें। योगासन करें, तैराकी करें, कोई खेल खेलें। किसी जानकार से सलाह लेकर और हो सके तो उसके मार्गदर्शन में ही विशेष रूप से पीठ के लिए तैयार की गई कसरत करें। साथ ही सभी पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण आहार लेना न भूलें। यह पूरी तरह आप पर निर्भर है कि बुरी आदतें कहीं आपकी पीठ में छुरा न घोंप दें। याद रखें, आप अपनी पीठ का ख्याल रखेंगे, तो अच्छा स्वास्थ्य कभी आपको पीठ नहीं दिखाएगा!बैठने का अनुशासन पालें! आपने रीढ़ की हड्डी के चित्र में देखा होगा कि वह कुछ लहरदार, कुछ अंग्रेजी के अक्षर "एस" के मानिंद होती है। यह उसकी प्राकृतिक अवस्था है। अक्सर हम बैठते वक्त इस प्राकृतिक अवस्था से छेड़छाड़ कर लेते हैं। रीढ़ जहाँ बाहर की तरफ फूली होना चाहिए, वहाँ उसे अंदर की ओर पिचका देते हैं और जहाँ यह भीतर की ओर आना चाहिए, वहाँ इसे बाहर की ओर धकेल देते हैं। यह सीधे-सीधे समस्या को आमंत्रण देना हुआ। यह सच है कि अधिक देर तक एक ही स्थान पर बैठे रहने से न चाहते हुए भी हम अपना पोश्चर बिगाड़ लेते हैं। इससे बचने का एक तरीका तो यह है कि अधिक देर तक एक ही कुर्सी पर बैठना हो या लंबी ड्राइव पर जाना हो तो कमर के निचले हिस्से व कुर्सी या सीट के बैकरेस्ट के बीच एक छोटा कुशन या फिर रोल किया हुआ टावेल रख लें। इससे रीढ़ की हड्डी का यह हिस्सा अपनी प्राकृतिक अवस्था में बना रहेगा।अपना पोश्चर सुधारें
यह सबसे पहली जरूरत है। प्रकृति ने हमारे शरीर की बनावट एक खास तरह से बैठने, खड़े होने व चलने के हिसाब से रची है। पीठ सीधी कर चलने पर आप न केवल स्मार्ट व आकर्षक लगेंगे, बल्कि इससे आपकी साँस लेने की प्रक्रिया भी अधिक सुचारु होगी। साथ ही आपकी मांसपेशियों में भी कसाव आएगा। पीठ, कमर व गर्दन में दर्द की संभावना क्षीण होगी। उम्र बढ़ने के साथ कुछ झुककर चलना आम माना जाता है लेकिन कई कम उम्र के युवा भी कंधे ढीले छोड़, आगे की ओर झुके हुए-से चलते दिख जाएंगे। इसके विपरीत जिन्होंने शुरू से अपने पोश्चर का ध्यान रखा, ऐसे बुजुर्ग भी मिलेंगे जो अस्सी या उससे अधिक उम्र में भी तनकर चलते दिख जाएंगे। इनकी पीठ स्वस्थ रहने के बुलंद इरादों का ऐलान करती हुई बिल्कुल सीधी नजर आती है। दर्द तो दर्द, अच्छे पोश्चर का प्रभाव आपके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। झुके कंधे व्यक्तित्व को बेचारगी भरा दिखाते हैं। सही पोश्चर आत्मविश्वास की झलक देता है।ऑफिस में रखें विशेष ध्यानअगर आप दफ्तर में छः, आठ या इससे अधिक घंटे कम्प्यूटर पर बैठकर काम करते हैं, तो आपकी कुर्सी, टेबल, कम्प्यूटर मॉनीटर व कीबोर्ड का सही प्लेसमेंट बहुत जरूरी है। आपकी पीठ कुर्सी के पिछले हिस्से से टिकी होना चाहिए तथा दोनों पैर जमीन पर सपाट पड़ने चाहिए। कंधे सीधे हों, गर्दन न झुकी हो और न ही आगे या ऊपर की ओर खिंची हुई। मॉनीटर का मध्य भाग आपकी आँखों की सीध में हो। कीबोर्ड इस तरह हो कि उस पर काम करते हुए आपकी कोहनी ९० डिग्री का कोण बनाए। हाँ, हर आधे-पौन घंटे बाद उठकर थोड़ी चहलकदमी करना न भूलें।