अभय मुद्रा क्या है, जानिए इसे करने के फायदे
Abhaya mudra Vidhi : योग में मुद्रओं का वर्णन मिलता है। मुद्राएं दो प्रकार की होती हैं- पहली हस्त मुद्रा और दूसरी आसन मुद्रा। आसन से शरीर की हडि्डयां लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। अभय मुद्रा हस्त मुद्रा के अतंगर्त आती है। हस्त मुद्राओं की संख्या करीब 60 है।
अभय मुद्रा का अर्थ : जैसा की इसके नाम से ही विदित होता है कि यह अभय प्रदान करती है इसीलिए इसका नाम अभय मुद्रा है। अभय और ज्ञान मुद्रा एक साथ की जा सकती है।
कैसी होती है अभय मुद्रा : आपने भगवान के चित्रों में उन्हें आशीर्वाद देते हुए देखा ही होगा, वही अभय मुद्रा है। अंगुठे और तर्जनी अंगुली मिलाकर भी अभय मुद्रा की जाती है और आशीर्वाद की मुद्रा भी अभय मुद्रा ही कही जाती है।
अभय मुद्रा बनाने की विधि: सर्वप्रथम किसी भी सुखासन में बैठकर अपने दोनों हाथों की हथेलियों को सामने की ओर करते हुए कंधे के पास रखते हैं। ज्ञान मुद्रा करते हुए आंखों को बंद कर गहरी श्वास लें और छोड़ें और शांति तथा निर्भिकता को महसूस करें। यही है अभय मुद्रा। इसे अभय ज्ञान मुद्रा भी कहते हैं।
अभय मुद्रा के लाभ : इस मुद्रा का निरंतर अभ्यास करने से मन में किसी भी तरह का भय नहीं रहता है। इससे मन में शांति, निश्चिंतता और परोपकार का जन्म होता है। व्यक्ति खुद के भीतर शक्ति और शांति को महसूस करता है।