रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. योग मुद्रा
  4. Kriya Yoga
Written By
Last Modified: मंगलवार, 20 जून 2023 (17:20 IST)

World Yoga Day 2023 : योग की कौन सी 3 क्रिया करने से जिंदगी हो जाएगी चेंज

yoga
21 June Yoga Day 2023 : योग आसनों के अलावा योग में प्राणायाम, क्रिया, बंध और मुद्राएं हैं, जिन्हें करने से सभी तरह के रोगों का निवारण होता है। व्यक्ति कभी भी रोगी नहीं बनता है। इसी के साथ ही योग क्रियाएं करने से बहुत तेजी से शरीर में बदलाव होते हैं और व्यक्ति की लाइफ एकदम से चेंज हो जाती है। यह क्रियाएं शरीर और मन पर गहरा असर डालती है जिससे संपूर्ण व्यक्तित्व बदल जाता है।
 
कुंजल क्रिया : पानी से पेट को साफ किए जाने की क्रिया को कुंजल क्रिया कहते हैं। इस क्रिया से पेट व आहार नली साफ हो जाती है। मूलत: यह क्रिया वे लोग कर सकते हैं जो धौति क्रिया नहीं कर सकते हों। इस क्रिया को किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।
 
लाभ : इस क्रिया के अभ्यास से तीन अंगों को लाभ मिलता है- पहला जिगर (लिवर), दूसरा हृदय (हार्ट) और तीसरा पेट की आंते (इंटेस्टाइन)। इस क्रिया को करने से व्यक्ति शरीर और मन में बहुत ही अच्छा फिल करता है। व्यक्ति में हमेशा प्रसंन्न और स्फूति बनी रहती है। इस क्रिया को करने से वात, पित्त व कफ से होने वाले सभी रोग दूर हो जाते हैं। बदहजमी, गैस विकार और कब्ज आदि पेट संबंधी रोग समाप्त होकर पेट साफ रहता है तथा पाचन शक्ति बढ़ती है। यह सर्दी, जुकाम, नजला, खांसी, दमा, कफ आदि रोगों को दूर करता है। इस क्रिया से मुंह, जीभ और दांतों के रोग दूर होते हैं। कपोल दोष, रूधिर विकार, छाती के रोग, ग्रीवा, कण्ठमाला, रतोंधी, आदि रोगों में भी यह लाभदायी है।
yoga
धौती क्रिया : यह कई तरह से होती है उसमें से वस्त्र धौती को करना थोड़ा कठिन है परंतु इससे संपूर्ण कफ बाहर निकल जाता है। पतले सूत के कपड़े को मुंह के द्वारा पेट में ले जाकर फिर धीरे-धीरे सावधानी पूर्वक बाहर निकालना ही वस्त्र धौती क्रिया है। 
 
इनका लाभ : इससे पेट की सभी प्रकार की गंदगी, कफ आदि उस अधपचे अन्न के साथ निकल जाती है। फलतः पेट संबंधी शिकायतें दूर होती हैं, साथ ही कफजन्य रोगों में काफी लाभ मिलता है। उक्त क्रिया से बुद्धि उज्जवल हो जाती है और शरीर में सदा स्फूर्ति बनी रहती है। इससे योगाभ्यास का शत-प्रतिशत लाभ प्राप्त होता है। इस क्रिया से पित्त की अधिकता समाप्त होती है। इसे आहारनाल साफ हो जाता है और पूरी तरह से कफ बाहर निकल जाता है। 
 
त्राटक क्रिया : जितनी देर तक आप बिना पलक गिराए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आँखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी।
 
इसके लाभ : आँखों के लिए तो त्राटक लाभदायक है ही साथ ही यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है। स्थिर आँखें स्थिर चित्त का परिचायक है। इसका नियमित अभ्यास कर मानसिक शां‍ति और निर्भिकता का आनंद लिया जा सकता है। इससे आँख के सभी रोग छूट जाते हैं। मन का विचलन खत्म हो जाता है। त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। सम्मोहन और स्तंभन क्रिया में त्राटक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह स्मृतिदोष भी दूर करता है और इससे दूरदृष्टि बढ़ती है।
 
सावधानी : उपरोक्त क्रियाओं को हठयोग के प्रवीण गुरु के प्रत्यक्ष निर्देशन में सीखना चाहिए।
ये भी पढ़ें
International Day of Yoga : योगा का इतिहास क्या है?