चेहरे को सुंदर बनाए रखने के लिए बनाएं ये मुद्राएं
उम्र का असर सबसे पहले चेहरे पर आता है। अधिक उम्र नहीं हुई है फिर भी शहरी प्रदूषण के कारण चेहरा मुरझा-सा गया है। योग के अंग संचालन या सूक्ष्म व्यायाम में ऐसी कई मुद्राएं बतायी गई है जिसे करने से चेहरे की झुर्रियां मिटाकर उसे दमकता हुआ बनाए रखा जा सकता है।
1. आंख, आई ब्रो, गाल और कान के लिए अंग संचालन की स्टेप्स...
स्टेप 1- गर्दन को सीधा रखकर आंखों की पुतलियों को पहले चार से छह बार ऊपर-नीचे और फिर दाएं-बाएं घुमाएं। तत्पश्चात चार से छह बार दाएं-बाएं गोलाई में घुमाएं अर्थात क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज। इसे डांसिंग आई बॉल योग कह सकते हैं।
स्टेप 1- आई ब्रो को भृकुटि के अर्थात दोनों आई ब्रो के मध्य स्थान से अंगूठे और तर्जनी अंगुली से पकड़कर हल्के से दबाएं।
स्टेप 2- मुंह में हवा भर लें। उस हवा को चार से छह बार दाएं-बाएं घुमाएं फिर चार-छह बार हवा भरें और निकाले। गालों का हल्के से हथेलियों से थपथपाएं। फिर थोड़ी को हाथ के पृष्ठ भाग से थपथपाएं।
स्टेप 2- दाएं हाथ की अंगुलियों से दायां और बाएं से बाया कान पहले नीचे से पकड़कर मरोड़े और फिर ऊपर से पकड़ कर मरोड़े। फिर कुछ देर के लिए कानों के दोनों छिद्र अंगुलियों से बंद कर दें।
2. काली मुद्रा
अपनी जीभ को सुविधानुसार बाहर निकाल दें। आपने मां कालीका का फोटो देखा होगा, बस उसी तरह की मुद्रा में 30 सेकंड तक रहें। इससे आपकी आंखों में जमा पानी और विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाता है या अंदर पेट में पहुंच जाता है। इससे आंखें स्वस्थ होकर अच्छा महसूस करती है। साथ ही यह आंखों के नीचे बनी झुर्रियां भी मिटाता है।
3. चेहरा बनाएं मछलीनुमा
गालों को अंदर भींचकर चेहरे को मछलीनुमा बनाएं। इसे आप स्माइल फिश फेस योगा कह सकते हैं। फिर हाथों की मुठ्टियां बांधकर ऊपर चेहरे तक उठाएं और दोनों आंखों को जोर से बंदरकर अंदर मींच लें। इससे मस्तिष्क पर पड़ी सलवटें मिटती है।
4. शेर मुद्रा
शेर जैसा चेहरा बनाने से चेहरे की सभी मांसपेशियां संचालित होकर स्वस्थ बनती है। पहले जीभ को पुरी ताकत के साथ बाहर निकाले और फिर आंखों को तान दें। बिल्कुल शेर की तरह। अब मुंह का फुग्गा फुलाएं अर्थात मुंह में हवा भरें और उसे दाएं-बाएं घुमाएं।
5.किस की आकृति-
किस (चूमना) लेने जैसी आकृति बनाएं और इसी तरीके को बार-बार दोहराएं। फिर गर्दन ऊंची करके बत्तीसी मिलाकर हंसे।
6.बुद्धा फेस-
अंत में आंखें बंद कर विश्राम की मुद्रा में बैठ जाएं और दोनों भोओं के बीच ध्यान को लगाएं। कुछ देर तक इसी तरह शांत बैठें रहें।