चोट से मजबूत होती टीमें
- अजय बर्वे
जैसे-जैसे विश्वकप अपने शबाब पर आ रहा है बड़ी टीमों के ज्यादातर मैच नीरस होते जा रहे हैं। कमजोर मानी जाने वाली दोयम दर्जे की टीमों ने शानदार खेल दिखाया है। एक तरफ जहाँ मैदान पर बल्लेबाज गेंद को मैदान के बाहर पहुँचा रहे हैं तो वहीं पैवेलियन में टीम से खिलाड़ियों के बाहर होने का सिलसिला लगातार जारी है। विश्वकप की शुरुआत से ही लगभग हर टीम में एक से ज्यादा खिलाड़ी चोट की वजह से टीम से बाहर हो चुके हैं। मामला कुछ ऐसा हो चला है कि आए दिन किसी न किसी टीम से कोई खिलाड़ी चोट की वजह से टूर्नामेंट से बाहर हो रहा है और उनकी जगह टीम में नए खिलाड़ियों को जगह मिल रही है या फिर उन खिलाड़ियों को शामिल किया जा रहा है जो टूर्नामेंट शुरू होने से पहले चोट की वजह से टीम में शामिल नहीं हो पाए थे। डरावने दिखने वाले इस पक्ष का उजला पहलू यह है कि इस अदला-बदली में कुछ टीमों में अच्छे खिलाड़ियों की वापसी हुई है और यह टीम पहले से ज्यादा मजबूत नजर आने लगी है। आइए नजर डालते हैं इस पूरे मामले पर। सबसे पहले बात भारतीय टीम की इस टूर्नामेंट से पहले प्रवीण कुमार को चोट की वजह से बाहर होना पड़ा था और उनकी जगह श्रीसंथ ने ली थी पर देखा जाए तो प्रवीण कुमार की जितनी जरूरत भारतीय टीम को अभी महसूस हो रही है उतनी शायद कभी नहीं हुई। हालाँकि अब खबर आ रही है कि प्रवीण कुमार अपनी चोट से उबर चुके हैं। मध्यम तेज गति से गेंद फेंकने वाले प्रवीण बेजान भारतीय पिचों पर कहर ढ़ा सकते हैं। अगर नेहरा, मुनाफ या श्रीसंथ में कोई घायल होता है तो प्रवीण कुमार एक बार फिर 'ब्ल्यु बॉयज' में वापसी कर सकते हैं। भारतीय टीम में आशीष नेहरा काफी समय से चोटिल थे। नीदरलैंड के खिलाफ उन्होंने मैदान पर वापसी तो की है पर पूरे खेल में उनसे सिर्फ 5 ही ओवर डलवाए गए। नेहरा के हाव-भाव से साफ था कि वे पूरी तरह फिट नहीं हैं। अब यदि भारतीय टीम में अगर एक से ज्यादा गेंदबाज चोट की वजह से बाहर होते हैं तो हो सकता है उसकी जगह प्रवीण कुमार और आरपी सिंह को टीम में शामिल कर लिया जाए और यदि ऐसा हुआ तो गेंदबाजी के लिए आलोचना झेल रही भारतीय टीम में गेंदबाजी की धार बढ़ जाएगी।ऑस्ट्रेलियन टीम से डग बॉलिंगर को चोट की वजह से बाहर होना पड़ा है और उनकी जगह ली है माइक हसी ने जो टूर्नामेंट शुरू होने के पहले हेमस्ट्रिंग इंजरी की वजह से टीम में शामिल नहीं हो पाए थे। उनके अलावा टूर्नामेंट से पहले नाथन हॉरिट्ज को भी चोट की वजह से टीम से बाहर होना पड़ा था। नाथन के बदले आए स्पिनर क्रेजा की फिरकी भारतीय महाद्वीप की घुमावदार पिचों पर कहीं कारगर साबित हो रही हैं। माइक के टीम में शामिल होने से ऑस्ट्रेलिया की टीम काफी मजबूत होगी। वे ऐसे खिलाड़ी है जो खुद के दम पर मैच का रूख बदल सकते हैं। इसी तरह इंग्लैंड की टीम केविन पीटरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड बाहर हुए हैं और उनकी जगह ऑलराउंडर इयान मॉर्गन और तेज गेंदबाज क्रिस ट्रीमलेट शामिल किए गए हैं। इंग्लैंड के लगभग सभी मुकाबले बहुत ही करीबी रहे हैं और इनमें से एक मैच में इंग्लैंड को हार का सामना करना पड़ा जबकि भारत के खिलाफ उनका मैच टाई रहा था। टीम में मॉर्गन और ट्रीमलेट के आने से बल्लेबाजी और गेंदबाजी के मामले में टीम को काफी मजबूती मिलेगी। वेस्टइंडीज की टीम में ड्वैन ब्रावो, एड्रियन बराथ और कार्लटन बाउ चोट की वजह से बाहर हो गए है और उनकी जगह टीम में देवेन्द्र बिशू, डेवॉन थॉमस और किर्क एडवर्ड को शामिल किया गया है। ब्रावो और बराथ के जाने की वजह से टीम को बड़ा झटका लगा था लेकिन टीम उसके बावजूद टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रही है।न्यूजीलैंड की टीम में खुद कप्तान डेनियल विटोरी घुटने की चोट से जुझ रहे हैं, टीम में उनकी मौजूदगी काफी मायने रखती है। वे एक मँझे हुए ऑलराउंडर हैं और उपमहाद्वीप की परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वैसे तो उनकी चोट को लेकर न्यूजीलैंड टीम घबरा रही है इसके बावजूद कहा जा रहा है कि वे जल्द ही ठीक हो जाएँगे और मैदान पर नजर आएगें। पर यदि वे टीम से बाहर होते हैं तो मार्टिन गुप्टिल या ग्रांट इलियट को टीम में शामिल किया जा सकता है। दक्षिण अफ्रीका की टीम में उनके प्रमुख स्पिनर इमरान ताहिर को अँगुठे में फ्रेक्चर हो गया है और आने वाले मैचों में उनका खेलना संदिग्ध है। वैसे फ्रेक्चर उनके बाएँ हाथ के अँगूठे में हुआ है लेकिन इसके बावजूद उनका फिट होना बेहद जरूरी है। अफ्रीकन टीम में ताहिर एक विकेट टेकर गेंदबाज के रूप में शामिल है और उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबको खासा प्रभावित किया है। उनकी अनुपस्थिति टीम के प्रदर्शन को प्रभावित करेगी। पाकिस्तान की टीम भी टूर्नामेंट में अपने एक अहम खिलाड़ी सोहेल तनवीर को चोट की वजह से बाहर बैठाने के लिए मजबूर हो गई और टीम में सोहेल की जगह जुनैद खान को शामिल किया गया। वैसे पाकिस्तान की टीम पर सोहेल के बाहर होने से कुछ खासा प्रभाव नहीं पड़ा है। विश्वकप शुरू होने के ठीक एक दिन पहले जिम्बाब्वे की टीम से एडवर्ड रैन्सफोर्ड को एंकल इंजरी की वजह से बाहर होना पड़ा था और उनका स्थान तिन्याशे पन्यागरा ने लिया। पर जिम्बाब्वे की टीम टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर पाई है।