Last Modified: नई दिल्ली ,
मंगलवार, 8 मार्च 2011 (17:09 IST)
डीआरएस में टीम इंडिया फिसड्डी
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को निर्णय समीक्षा प्रणाली यानी डीआरएस पसंद नहीं है और शायद यही वजह है कि टीम इसको सही तरीके से आत्मसात नहीं कर पाई है क्योंकि विश्वकप के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत इस प्रणाली का सफलतापूर्वक उपयोग करने में फिसड्डी रहा है।
भारत ने अब तक विश्वकप में जो तीन मैच खेले हैं उसमें छह बार अंपायर के फैसले को चुनौती दी है। इनमें से केवल एक बार आयरलैंड के खिलाफ ही उसे सफलता मिली थी। दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने अब तक रेफरल में खुद को बेहतर साबित किया है।
धोनी शुरू से ही डीआरएस के खिलाफ रहे हैं और उन्होंने हर द्विपक्षीय श्रृंखला में इसका विरोध किया था। भारत का विश्वकप में अब तक इस विधा में असफल रहने का एक कारण यह भी हो सकता है कि वह इस प्रणाली को लेकर अन्य टीमों की तुलना में अधिक अनुभवी नहीं है।
भारतीय टीम ने विश्वकप में सबसे पहले बांग्लादेश के खिलाफ शुरुआती मैच में ही डीआरएस की मदद ली थी। बांग्लादेशी की पारी की चौथी गेंद पर ही अंपायर कुमार धर्मसेना ने तमीम इकबाल के खिलाफ पगबाधा की अपील ठुकरा दी थी जिस पर धोनी ने रेफरल का सहारा लिया। यह विश्वकप का पहला रेफरल था जिसमें तीसरे अंपायर ने मैदानी अंपायर के फैसले को ही सही ठहराया था। यह एकमात्र मैच रहा है जिसमें केवल एक बार डीआरएस का उपयोग किया गया।
इसके बाद इंग्लैंड की पारी के 25वें ओवर की अंतिम गेंद पर जब बिली बोडेन ने इयान बेल को पगबाधा आउट नहीं दिया तो धोनी ने रेफरल की माँग की। रीप्ले से साफ लग रहा था कि गेंद ऑफ और मिडिल स्टंप के बीच में लग रही थी। बेल भी बड़ी स्क्रीन पर रीप्ले देखकर पवेलियन की तरफ रुख कर चुके थे लेकिन मैदानी अंपायर के फैसले पर ठप्पा लगा।
अंपायर के इस फैसले पर बाद में काफी बहस हुई और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को साफ करना पड़ा कि यदि बल्लेबाज विकेट से ढाई मीटर आगे खड़ा हो तो उसे पगबाधा आउट नहीं दिया जा सकता। धोनी भी इससे काफी नाखुश थे। उन्होंने बाद में कहा, ‘यदि हॉक आई से पता लग रहा है कि गेंद स्टंप पर लग रही थी और यह मिडिल स्टंप पर लग रही थी तब मुझे नहीं लगता कि इसमें दूरी को बीच में लाना चाहिए।’
भारत ने आयरलैंड के खिलाफ बेंगलुरू में ही खेले गए मैच में तीन बार रेफरल की अपील की जिसमें से एक अवसर पर वह सफल भी रहा। आयरलैंड की पारी में अलेक्स कुसाक के खिलाफ युवराज सिंह की पगबाधा की अपील अंपायर राड टकर ने ठुकरा दी थी लेकिन रेफरल से साफ हो गया कि गेंद विकेट पर लग रही थी और बल्लेबाज ढाई मीटर से आगे भी नहीं खड़ा था। तीसरे अंपायर ने टकर का फैसला पलट दिया और युवराज मैच में पाँच विकेट लेने में सफल रहे।
यदि अन्य टीमों की बात करें तो रेफरल में कनाडा का कोई जवाब नहीं जिसने चार मैच में 12 बार इसका सहारा लिया और पाँच अवसरों पर उसे सफलता मिली। पाकिस्तान की भी चार बार रेफरल की अपील कामयाब रही जबकि जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और केन्या तीन-तीन अवसरों पर मैदानी अंपायर के फैसले पलटने में सफल रहा।
ऑस्ट्रेलिया ने अब तक केवल पाँच बार रेफरल माँगा जिसमें से दो बार फैसला उसकी टीम के पक्ष में गया। आयरलैंड और न्यूजीलैंड को पाल्लेकल में टूर्नामेंट का 24वाँ मैच शुरू होने तक डीआरएस में एक भी सफलता नहीं मिली। इन दोनों टीमों ने चार-चार बार इसका सहारा लिया है। (भाषा)