Last Modified: मुंबई ,
मंगलवार, 5 अप्रैल 2011 (12:59 IST)
गुरू गैरी अपने फैसले पर अडिग
भारत को विश्वकप दिलाने वाले पहले कोच दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन ने कहा है कि अपनी इस सफलता के बावजूद टीम इंडिया का साथ छोड़ने के अपने निर्णय पर अडिग हैं लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि दक्षिण अफ्रीकी टीम का कोच बनने के प्रस्ताव पर उन्होंने कोई फैसला अब तक नहीं किया है।
कर्स्टन ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से मुझे कोच बनने का प्रस्ताव मिला था लेकिन मैंने उन्हें बता दिया कि अभी मैं इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकता हूँ। इस महान सफलता के बाद मैं कुछ समय विश्राम कर खुद को तरोताजा करना चाहता हूँ।
कर्स्टन ने एक समाचार पत्र से कहा कि मैंने यह निर्णय बहुत पहले ले लिया था और इस पर पुनर्विचार की कोई संभावना नहीं है। मैं वापस अपने देश जाना चाहता हूँ। कोच के रूप में कर्स्टन का भारत के साथ विश्वकप तक का करार था और उन्होंने पहले ही इसके नवीकरण पर मनाही दे दी थी। वह विश्वकप जीतने के बाद भारत के सफलतम कोच बन गए हैं। इससे पहले जॉन राइट के प्रशिक्षण में भारतीय टीम 2003 में विश्वकप के फाइनल में पहुँची थी।
विश्वकप सफलता के बारे में कर्स्टन ने बेहद विनम्र तरीके से कहा कि यह बेहद खुशनुमा पल है। मैंने कुछ नहीं किया बल्कि इसका श्रेय खिलाड़ियों को जाना चाहिए। उन्होंने कड़ी मेहनत की। मैंने तो बस उनमें इतना विश्वास जगाया कि वे क्रिकेट के हर क्षेत्र में नंबर वन बनने के काबिल हैं।
उन्होंने कहा सच में यह टीम जीत की हकदार थी। हर किसी में आत्मविश्वास था कि वे विश्व विजेता बन सकते हैं। यही इस टीम का सबसे मजबूत पक्ष है। खिलाड़ियों ने खुद को विश्व विजेता साबित किया है। भारतीय खिलाड़ियों द्वारा उन्हें और सपोर्ट स्टॉफ को श्रेय दिए जाने पर कर्स्टन ने कहा 'मैं ऐसा नहीं मानता। टीम खिलाड़ियों से बनती है। हमने तो बस मदद की है। उन्होंने जो कुछ पाया है, वह उन्हीं की मेहनत का फल है। न इससे कम और न ही ज्यादा।'
शनिवार को भारत के विश्व कप जीतने के बाद दर्शकों के जश्न के बारे में कर्स्टन ने कहा कि मैं ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकता था। देखिए, लोग कैसे जश्न मना रहे हैं। लगता सब खुशी में पागल हो गए हैं। (वार्ता)