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Written By गायत्री शर्मा

ये है जीवन की पाठशाला

पाठशाला
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विद्यालय तो हमें किताबी ज्ञान देता है और परिवार संस्कारों का ज्ञान लेकिन इन सबसे बड़ी पाठशाला जीवन की है। जहाँ हम बहुत कुछ सीखते हैं। मुश्किलों से लड़ना, निरंतर आगे बढ़ना, अपने पराए का भेद सब कुछ। सही मायने में हमें अच्छा या बुरा इंसान बनाने का काम जिंदगी की पाठशाला करती है, जिसमें अनुभव रूपी शिक्षक हमें मुसीबतों की परीक्षा में सफल होना सिखाते हैं।

ऐसे में जो व्यक्ति इस परीक्षा को पास कर लेता है। वो जिंदगी की जंग जीत जाता है और जो आदमी अनुभव के पास होने पर भी गलतियाँ करता है, वो जिंदगी की हर बाजी हारता जाता है।

  इस पाठशाला का सबसे बड़ा सबक तो यही है कि 'गलतियों को दोहराओ मत और जब भी जहाँ भी, जिस किसी से भी, जो अच्छा सीखने को मिले, उसे ग्रहण करो।' उस वक्त हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वो व्यक्ति हमसे उम्र में बड़ा है या छोटा।      
कहा जाता है कि ठोकर लगने पर हर व्यक्ति सीख जाता है। अक्सर हमारे माता-पिता गलती करने पर हमें यही जुमला सुनाते हैं परंतु हम उन्हें अनसुना कर देते हैं। जब हम स्वयं गलती करते हैं, तब हमें उनकी दी गई हिदायतें याद आती हैं। याद रखें कोई भी व्यक्ति पूर्णत: परिपक्व नहीं होता है। गलतियाँ तो हर इंसान से होती है।

बस जरूरत है उन गलतियों से सबक लेकर अपने जीवन को नई राह पर ले जाने की। यदि आप गलतियाँ करने के बाद भी नहीं जागते हैं तो आप जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

जीवन की पाठशाला दुनिया की हर पाठशाला से बड़ी है। इसका सबक जिसने ईमानदारी से सीख लिया। वह व्यक्ति हमेशा प्रगति करता है। इस पाठशाला का सबसे बड़ा सबक तो यही है कि 'गलतियों को दोहराओ मत और जब भी जहाँ भी, जिस किसी से भी, जो अच्छा सीखने को मिले, उसे ग्रहण करो।'

उस वक्त हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वो व्यक्ति हमसे उम्र में बड़ा है या छोटा। बस यह देखना चाहिए कि उसकी कही गई बात समय व परिस्थितियों के हिसाब से कितनी सही है।