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Written By ND

झूठी शान में कैसा मान?

झूठी शान मान
- कमलचंद वर्म

ND
आडंबरयुक्त झूठा जीवन कभी सुख नहीं देता। अतः झूठी शान-शौकत के चक्कर में पड़कर नुकसान उठाना गलत ही है। इससे कुछ समय को भले ही आप खुश हो लें, पर इसके परिणाम दुखदायी ही होते हैं।

सुपर महिला क्लब की वार्षिक बैठक थी। इस बैठक में क्लब की नई सदस्य मिसेज मालपानी भी शामिल हुईं। वे विशेष रूप से बन-ठनकर आई थीं। कीमती साड़ी पहने और गहनों से लदी वे भीड़ में कुछ अलग ही दिखाई दे रही थीं। बहुत-सी महिलाओं ने उनसे परिचय करना चाहा। वे हुलसकर अपना परिचय देने लगीं। उन्होंने बताया कि 'मैं शहर के प्रसिद्ध बिल्डर मिस्टर मालपानी की पत्नी हूँ। सिविल लाइन के एक बंगले में रहती हूँ। ...एक लड़का है, जो अमेरिका में नौकरी कर रहा है। करोड़ों की प्रॉपर्टी है। किसी बात की कमी नहीं है।

...इंडिया से जी भर गया इसलिए कुछ सालों में अमेरिका चली जाऊँगी बहन, ...अब तो पुरानी कार से जी भर गया... उसे बेचकर जल्दी ही नई कार खरीदूँगी।' उनकी झूठी और बढ़ा-चढ़ाकर की गई बातों से मिसेज खन्ना चिढ़ गईं। वे मिसेज मालपानी को निकट से जानती थीं इसलिए बोल उठीं, 'क्यों झूठ बोलती हैं मिसेज मालपानी। आपके पास पुरानी कार है ही कहाँ जिसे बेचकर नई कार खरीदेंगी। मुझे मालूम है आप टैक्सी या ऑटो में ही कहीं आती-जाती हैं।'
  आडंबरयुक्त झूठा जीवन कभी सुख नहीं देता। अतः झूठी शान-शौकत के चक्कर में पड़कर नुकसान उठाना गलत ही है। इससे कुछ समय को भले ही आप खुश हो लें, पर इसके परिणाम दुखदायी ही होते हैं।      


'अरे, मैं सच कह रही हूँ मिसेज खन्ना!' मिसेज मालपानी ने अपना बचाव किया और कहा, 'तुम देख लेना, कुछ दिनों में मैं नई कार में घूमूँगी।' 'फिर वही झूठ!' मिसेज खन्ना ने खीजकर कहा, 'मैं तुम्हें अच्छी तरह जानती हूँ। ...तुम्हारी इतनी हैसियत नहीं है कि कार खरीद सको। ...तुम कह रही थी कि तुम्हारे पति बड़े बिल्डर हैं, झूठी बात है।

दरअसल, वे एक पेटी कॉन्ट्रेक्टर हैं। मकान बनाने के छोटे-छोटे काम लेकर अपनी गुजर करते हैं। ...और सुनो, सिविल लाइन में तुम्हारा कोई बंगला नहीं है। तुम सर्वेंट क्वार्टर के दो कमरों के मकान में रहती हो। ...और सुनो, तुम कह रही थी कि तुम्हारा लड़का अमेरिका में नौकरी करता है।

सच बात है, परंतु यह सच भी बता देती कि वह एक होटल में बैरे की नौकरी करता है। ...तुम्हारी इतनी हैसियत नहीं है कि अपना देश छोड़कर विदेश में रहो। ...और भी सच सुनो, तुम्हारे शरीर पर जो चमचमाते गहने हैं, वे सब नकली सोने के हैं। ...तुम 'झूठ' का आडंबर धारण किए हो, परंतु मैं पूछती हूँ- तुम क्यों झूठ बोलकर और झूठी शान दिखाकर लोगों को प्रभावित करना चाहती हो?

तुम व्यर्थ ही सच को छिपाने की कोशिश कर रही हो! तुम्हें याद रखना चाहिए कि सच कभी नहीं छिपता। एक न एक दिन सामने आ ही जाता है। इसलिए सच को न ही छिपाना चाहिए... इसलिए मिसेज मालपानी, झूठी शान और बड़प्पन दिखाने के लिए भविष्य में कभी झूठ मत बोलना। जो सच है, जो सहज-सरल और वास्तविक है, वही बयान करना। इससे इज्जत कम नहीं होती।' ...यह सुनकर मिसेज मालपानी के चेहरे का रंग उड़ गया। महिलाओं के हँसते-मुस्कुराते चेहरे देखकर उनकी आँखें डबडबा आईं। अपने को अपमानित महसूस किया उन्होंने।

झूठा दिखावा और झूठा बड़प्पन कुछ देर तो खुशी देता है, परंतु अंत में बहुत दुःख होता है। इसलिए इससे बचना चाहिए। देखा गया है कि बहुत-से लोग अपनी 'क्षमता' या 'सामर्थ्य' को भूलकर अमीरों की नकल करते हैं। अमीरों के पास जैसी सुख-सुविधाएँ हैं, वैसी ही सुख-सुविधाएँ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। पहनावे और बोलचाल में भी उनकी नकल करते हैं। भले ही इसके लिए उन्हें कर्ज ही क्यों न लेना पड़े। दरअसल, नकल करने की यह प्रवृत्ति सभी लोगों में पाई जाती है, परंतु जो लोग अपने सामर्थ्य को भूलकर अंधानुकरण करते हैं,वे बाद में बहुत कष्ट पाते हैं। कर्ज लेकर शौक पूरे करने की प्रवृत्ति घातक होती है।

यह अनुभव किया गया है कि अपनी सामर्थ्य से अधिक लिया गया कर्ज इंसान का सुख-चैन छीन लेता है। ...वह तनाव भरा जीवन जीता है और अपने साथ अपने परिवार को भी दुःख और परेशानियों में डाल देता है। बहरहाल, ऊँचे सपने देखना अच्छी बात है, परंतु उन सपनों को पूरा करने के लिए अपने में सामर्थ्य भी बढ़ाना चाहिए। तीव्र इच्छा-शक्ति रखकर कठोर परिश्रम करने का स्वभाव बनाना चाहिए, तभी सपने सच हो पाते हैं। सामान्य दशा में जितनी बड़ी चादर हो, उतने ही पैर फैलाना बुद्धिमानी है।