Grah kalesh vastu : यदि पति पत्नी के बीच गृह कलेश होता है या परिवार में सभी सदस्य आपस में लड़ते झगड़ते हैं तो इसे गृहकलह कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन यदि वास्तु दोष ठीक कर लेंगे तो इस कलह से आपको छुटकारा मिल जाएगा। घर में गृहकलह से बचकर प्रसन्न और खुशहाल रहेंगे। इसके लिए आपको करना क्या है?
1. घर का रंग : घर को भीतर और बाहर दोनों तरफ से ऑफ वाइट कलर से पुतवा दें। हल्के गुलाबी, हल्के पीले या पिंकिश रंग का उपयोग भी कर सकते हैं।
2. घर के कोण : घर का आग्नेय, नैऋत्य कोण, वायव्य कोण और ईशान कोण का वास्तु ठीक कराएं।
3. हंसों का जोड़ा: यदि पति और पत्नी में तनाव है या किसी कारणवश प्यार का संबंध स्थापित नहीं हो पा रहा है तो आप अपने शयन कक्ष में हंसों के जोड़े का एक सुंदर-सा चित्र लगा सकते हैं। इसके अलावा हिमालय, शंख या बांसुरी के चित्र भी लगा सकते हैं। ध्यान रखें, उपरोक्त में से किसी भी एक का ही चित्र लगाएं।
4. अग्निकोण: यदि शयन कक्ष अग्निकोण में हो तो पूर्व-मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए। शयन कक्ष के अंदर भूलकर भी पानी से संबंधित चित्र न लगाएं, क्योंकि पानी का चित्र पति-पत्नी और 'वो' की ओर इशारा करता है।
5. रसोईघर: घर का रसोईघर यदि ईशान कोण में, पूर्व में या दक्षिण में है तो इससे घर में कलेश के साथ रोग भी बढ़ेगा। इसे ठीक कराएं।
6. धूप दें : हिन्दू धर्म में षोडशांग धूप अर्थात 16 प्रकार की धूप देने का उल्लेख मिलता है। अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागरमाथा, चंदन, इलाइची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गुल। इसके अलावा भी अन्य मिश्रणों का भी उल्लेख मिलता है। इसमें आम, नीम की छाल मिलाकर धूप भी धूप देते हैं। या उपले (कंडे) जलाकर यह उपरोक्त सभी मिश्रित सामग्री उस पर डाल दें और उसका धुआं संपूर्ण घर में फैलाएं। धूप देने से मन, शरीर और घर में शांति की स्थापना होती है। रोग और शोक मिट जाते हैं। गृहकलह, पितृदोष और आकस्मिक घटना-दुर्घटना नहीं होती। घर के भीतर व्याप्त सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलकर घर का वास्तुदोष मिट जाता है। ग्रह-नक्षत्रों से होने वाले छिटपुट बुरे असर भी धूप देने से दूर हो जाते हैं।
7. हंसता-मुस्कुराता चित्र : कहीं से ऐसे चित्र लेकर आएं जिसमें हंसता-मुस्कुराता संयुक्त परिवार हो। उसे लाकर आप अपने अतिथि कक्ष में लगा दें, जहां पर सभी की नजर आते-जाते पड़ती रहें। यदि आप दूसरों के चित्र न लगाना चाहते हैं तो खुद के ही परिवार के सदस्यों का प्रसन्नचित्त मुद्रा में दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने में एक तस्वीर लगाएं। इसमें परिवार के सभी सदस्य होने चाहिए और उनके चेहरे प्रसन्नचित्त मुद्रा में होने चाहिए।
- अनिरुद्ध जोशी