माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी पर्व मनाया जाएगा। विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का जन्मोत्सव वसंत पंचमी यानी 29 जनवरी को है मत मतांतर से 30 जनवरी को भी पर्व मनाया जा रहा है।
1.वसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है।
2. इसे वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे।
3 . सर्वार्थसिद्धि और रवियोग बनने के साथ, बृहस्पति, मंगल और शनि रहेंगे स्वयं की राशि में अ र्थात स्वग्रही संयोग में मनेगी वसंत पंचमी।
4. इस बार वसंत पंचमी इसलिए भी श्रेष्ठ है,क्योंकि सालों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है। इस बार 3 ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है।
5. वसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरुवार व उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से वसंत पंचमी की शुभता में और अधिक वृद्धि होगी।
6. इस साल बसंत पंचमी को लेकर पंचाग भेद भी है। इसलिए कुछ जगहों पर ये पर्व में 29 तथा कई जगह 30 जनवरी को वसंत पंचमी मनाई जाएगी।
7. पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10.46 से शुरू होगी जो गुरूवार दोपहर 1.20 तक रहेगी। दोनों दिन पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि रहेगी। धर्मसिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार यदि चतुर्थी तिथि विद्धा पंचमी होने से शास्त्रोक्त रूप से 29 जनवरी बुधवार को वसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा।
8. वैवाहिक जीवन के लिए सर्वार्थसिद्धि और रवियोग का संयोग बनेगा। जो मांगलिक और शुभ कामों की शुरुआत करने एवं परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ है। वसंत पंचमी पर्व विद्यारंभ करने का शुभ दिन माना जाता है।
9. सरस्वती पूजा मुहूर्त 2020 - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक (29 जनवरी 2020)
पंचमी तिथि प्रारंभ - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से (29 जनवरी 2020 ) पंचमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 01 बजकर 19 मिनट तक (30 जनवरी 2020)
10. वसंत पंचमी यानी माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में वसंत पंचमी के मनाया जाता है। इस मौके पर मां सरस्वती और भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है और मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले सफेद और पीले फूल चढ़ाए जाते हैं। कई जगह लेखनी और ग्रंथों की पूजा भी की जाती है।