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सरस्वती यंत्र : वसंत पंचमी पर सिर्फ 1 मंत्र और 1 यंत्र से बदल जाएगी आपकी दुनिया

सरस्वती यंत्र : वसंत पंचमी पर सिर्फ 1 मंत्र और 1 यंत्र से बदल जाएगी आपकी दुनिया - vasant panchami 2020
घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्।।
 
हिन्दी अर्थ : स्वहस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्न, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्यमर्दिनी महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं। मां सरस्वती प्रधानत: जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती हैं। 
 
विधि : मां सरस्वती यंत्र को शुभ मुहूर्त में चांदी या कांस्य की थाली में, केसर की स्याही से, अनार की कलम से लिखकर सविधि पूजन कर माता सरस्वतीजी की आरती करें।
 
यात्रांकित कांस्य थाली में भोजन परोसकर श्री सरस्वत्यै स्वाहा, भूपतये स्वाहा, भुवनपतये स्वाहा, भूतात्मपतये स्वाहा 4 ग्रास अर्पण करके स्वयं भोजन करें।
 
याद रहे, यंत्र भोजन परोसने से पहले धोना नहीं चाहिए। वसंत पंचमी से 14 दिनों तक नित्य करने से यंत्र प्रयोग मस्तिष्क में स्नायु तंत्र को सक्रिय (चैतन्य) करता है और मनन करने की शक्ति बढ़ जाती है। धैर्य, मनोबल व आस्था की वृद्धि होती है और मस्तिष्क काम करने के लिए सक्षम हो जाता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है और विद्या वृद्धि में प्रगति स्वयं होने लगती है।
 
एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : 
 
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:
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