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29 जनवरी या 30 जनवरी, कब है वसंत पंचमी? जानिए कब करें सरस्वती पूजन

29 जनवरी या 30 जनवरी, कब है वसंत पंचमी?  जानिए कब करें सरस्वती पूजन - vasant panchami kab hai
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 जनवरी, गुरुवार को है। मत मतांतर से इसे 29 को भी मनाया जा रहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुईं थीं। इस बार वसंत पंचमी का पर्व सिद्ध योग में मनाया जाएगा। ये योग बहुत ही खास है, इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं।
 
पचंमी तिथि का आरंभ 29 जनवरी, बुधवार को सुबह 8 बजकर 18 मिनट से होगा, ये तिथि 30 जनवरी, गुरुवार को सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि ग्राह्य होने से 30 जनवरी को ही वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार वसंत पंचमी पर सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, इस योग में पूजन करने से सभी कामों में सफलता मिलती है।
 
देवी भागवत में उल्लेख मिलता है कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी। वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का भी विधान है। पीला रंग इस बात का द्योतक है कि फसलें पकने वाली हैं इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं। 
 
बुद्धि, विद्या और वाणी की देवी हैं भगवती सरस्वती भगवती सरस्वती विद्या, बुद्धि, और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। देवी सरस्वती सत्वगुणसम्पन्ना हैं। इनके अनेक नाम हैं, जिनमें वाणी, गीः, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राह्मी, गौ, सोमलता, वाग्देवी और वीणापाणी अधिक प्रसिद्ध हैं।

भगवती सरस्वती को प्रसन्न कर लेने पर मनुष्य संसार के सारे सुख भोगता है। इस प्रकार अमित तेजस्विनी और अनन्त गुणशालिनी देवी सरस्वती की पूजा एवं आराधना के लिए माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि निर्धारित की गई है। वसंत पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है। अतः वागीश्वरी जयन्ती एवं श्रीपंचमी के नाम से भी इस तिथि की प्रसिद्धि है।
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