1000 साल से भी ज़्यादा समय से बिना नींव के शान से खड़ा है तमिलनाडु में स्थित बृहदेश्वर मंदिर
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल बृहदेश्वर मंदिर है तमिल संस्कृति और कला की बेजोड़ मिसाल
Brihadeshwar Temple : भारत में ऐसे कई मंदिर जो भक्तों की आस्था के साथ जुड़े होने के साथ ही अपनी भव्य विशालकाय इमारतों के लिए ख्याति प्राप्त है। ऐसा ही एक मंदिर है तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है और द्रविड़ वास्तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है।
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर को राजराज चोल प्रथम द्वारा 1010 ईस्वी में बनवाया गया था। इसे "बृहदीश्वर मंदिर" या "राजराजेश्वर मंदिर" भी कहा जाता है। यह मंदिर न केवल अपनी विशाल संरचना के लिए बल्कि इसके अद्भुत स्थापत्य चमत्कार के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
बिना नींव का निर्माण: बृहदेश्वर मंदिर का अद्वितीय रहस्य
बृहदेश्वर मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि यह बिना किसी नींव के खड़ा है। 216 फीट ऊंचा यह मंदिर न केवल अपनी विशालता के कारण आकर्षण का केंद्र है बल्कि इसके निर्माण में न तो कोई नींव है और न ही सीमेंट का प्रयोग। चोल वंश के कुशल वास्तुकारों ने इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया कि यह धरती की प्राकृतिक संरचना पर ही स्थिर रहता है।
बृहदेश्वर मंदिर की अद्भुत वास्तुकला
इस मंदिर की स्थापत्य कला अद्वितीय है। मंदिर के गर्भगृह में 3.66 मीटर ऊंची शिवलिंग है, जो दक्षिण भारत में सबसे बड़ी मानी जाती है। बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ था। मंदिर के शिखर पर एक 80 किलो वजन का पत्थर रखा हुआ है, जिसपर एक स्वर्ण कलश टिका है। लेकिन हजारों साल पहले जब न तो आधुनिक मशीनें हुआ करती थी और न ही क्रेन, तब इतना भारी पत्थर मंदिर के गुंबद तक कैसे पहुंचा? इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका है।
बृहदेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें यहाँ "बृहदीश्वर" के रूप में पूजा जाता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर विशाल आयोजन होते हैं, जहां दूर-दूर से भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा, मंदिर में तमिल कला और संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलता है।
बृहदेश्वर मंदिर का प्रमुख आकर्षण
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दक्षिण भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग: गर्भगृह में भगवान शिव की विशाल मूर्ति।
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मुख्य गुंबद का निर्माण: बिना नींव और सीमेंट के खड़ा 80 टन का पत्थर का गुंबद।
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यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा: भारत के प्रमुख धरोहर स्थलों में से एक।
बृहदेश्वर मंदिर कैसे पहुँचें?
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा त्रिची (तिरुचिरापल्ली) है, जो तंजावुर से लगभग 60 किमी दूर है। यहाँ से बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध होती हैं। चेन्नई और मदुरै जैसे प्रमुख शहरों से भी यहाँ के लिए सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध है।
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