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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 28 जनवरी 2025 (15:27 IST)

बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है? जानें कैसे मनाएं सरस्वती जयंती

बसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इसे सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है।

Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है? जानें कैसे मनाएं सरस्वती जयंती - how to perform Basant Panchami puja 2025
Vasant Basant Panchami 2025: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार सरस्वती जयंती, जिसे बसंत पंचमी भी कहा जाता है, ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित एक पर्व है। इस दिन विद्यालयों, कॉलेजों और घरों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है तथा विद्या, वाणी और बुद्धि के देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। वर्ष 2025 में बसंत पंचमी तथा देवी सरस्वती की जयंती 02 फरवरी, रविवार को मनाई जा रही है। इस वसंत पंचमी पर्व को संस्कृत में वसन्त पंचमी तथा रोमन में वसंत पंचमी कहा जाता है और इसे हिन्दू देवी सरस्वती की जयंती के सम्मान में सरस्वती पूजा भी कहा जाता है। साथ ही यह एक त्योहार है जो वसंत के आगमन की तैयारी का प्रतीक है।ALSO READ: मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए बसंत पंचमी पर लगाएं इन 5 चीजों का भोग?
 
आइए जानते हैं यहां कैसे मनाई जाती है मां सरस्वती जयंती...
 
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का महत्व : मां सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। उनकी पूजा करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है। अत: ज्ञान की देवी का आशीर्वाद लेने हेतु वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का पूजन-अर्चन तथा मंत्र उच्चारण किया जाता है। इस दिन नए कार्य की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। मां सरस्वती संगीत और कला की देवी भी मानी गई हैं। अत: इस दिन संगीत और कला से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन बुद्धि का विकास करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
 
मां सरस्वती पूजा की विधि, कैसे मनाएं जयंती: 
वसंत/बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
फिर पूजा स्थल की सजावट करें। 
मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को एक साफ-सुथरे स्थान पर स्थापित करें। 
आस-पास पुष्प, दीपक, धूप और रंगोली से सजाएं।
फिर मां सरस्वती के पास शास्त्र, वेद, पुस्तकें, वीणा और अन्य वाद्य यंत्र रखें।
तत्पश्चात मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं या अभिषेक करें।
अब मां सरस्वती को सफेद या पीले रंग के वस्त्र और आभूषण पहनाएं। 
वसंत पंचमी के दिन नैवेद्य में पीले रंगों का विशेष महत्व होने के कारण मां सरस्वती को पीली मिठाई, पीले फल और केसरिया खीर का भोग लगाएं।
मां सरस्वती के विभिन्न मंत्रों का जाप करें। 
जैसे: -  ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- 'ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।'
फिर मां सरस्वती की आरती करें।
देवी सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।
इस दिन छोटे बच्चे को विद्या आरंभ करते हैं। 
 
सरस्वती पूजा के दौरान ये कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे- इस दिन अशुद्ध भोजन का सेवन न करें अर्थात् मांस, मछली और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए। किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
 
सरस्वती पूजा के दौरान करने योग्य कार्य : 
- सरस्वती जयंती के दिन बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें तथा उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताएं। अत: घर में यदि कोई छोटा शिशु हो तो विद्यारंभ किया जा सकता है। 
- सरस्वती पूजा के दौरान सफेद रंग धारण करें, यह शांति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। साथ ही पीले रंग भी धारण करने की मान्यता है।
- इस दिन संगीत वाद्य यंत्र बजाना मां सरस्वती को प्रसन्न करता है।
- इस दिन शास्त्रों का अध्ययन करना शुभ माना जाता है।

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