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Last Updated : गुरुवार, 19 दिसंबर 2024 (15:57 IST)

हरिद्वार में गुरुवार से प्रस्तावित विश्व धर्म संसद स्थगित, क्या बोले महंत यति नरसिंहानंद गिरि

हरिद्वार में गुरुवार से प्रस्तावित विश्व धर्म संसद स्थगित, क्या बोले महंत यति नरसिंहानंद गिरि - World Parliament of Religions proposed from Thursday in Haridwar has been postponed
vishva dharm sansad: बांग्लादेश (Bangladesh) में हिन्दुओं (Hindus) के साथ हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में गुरुवार से प्रस्तावित विश्व धर्म संसद (vishv dharm sansad) के आयोजन को हरिद्वार पुलिस ने रुकवा दिया है। 3 दिवसीय आयोजन की जूना अखाड़ा परिसर में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। हालांकि जिला प्रशासन ने विश्व धर्म संसद के आयोजन की अनुमति नहीं दी थी।
 
पुलिस प्रशासन ने सुबह जूना अखाड़े पंहुचकर वहां लगे तंबू आदि उखड़वा दिए और अखाड़ा परिसर में इस संबंध में नोटिस चस्पा कर दिया। प्रशासन की कार्रवाई के बाद दबाव में आते हुए आयोजकों ने धर्म संसद को स्थगित कर दिया।ALSO READ: धर्म संसद का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद कर रहे हैं आयोजन
 
धर्म संसद का आयोजन नरसिंहानंद गिरि द्वारा :  21 दिसंबर तक होने वाली धर्म संसद का आयोजन जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर और गाजियाबाद के डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि द्वारा किया जा रहा था। यति नरसिंहानंद करीब 2 वर्ष पहले भी हरिद्वार मे आयोजित धर्म संसद में घृणा भाषण मामले में जेल जा चुके हैं।
 
बाद में यति नरसिंहानंद ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह से हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा है, पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और कश्मीर से हिन्दुओं को हटा दिया गया, उसकी भविष्य में पुनरावृत्ति न हो और भारत इस्लामी जिहाद का शिकार न बन जाए, इस पर चर्चा के लिए धर्म संसद का आयोजन किया गया था।
 
उन्होंने कहा कि वे जिला प्रशासन द्वारा अनुमति न देने के कारण यह धर्म संसद स्थगित कर रहे हैं। यति नरसिंहानंद ने घोषणा की कि इसके विरोध में अब वह हरिद्वार से उच्चतम न्यायालय तक पैदल यात्रा करेंगे और वे वहां अपनी गुहार लगाएंगे।ALSO READ: महाकुंभ में क्या है धर्मध्वजा का महत्व, जानिए किस अखाड़े की कौन सी है पताका
 
उन्होंने कहा कि मैंने इस्लाम के बारे में जो बात कही है, अगर वह गलत है तो उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई कोई भी सजा मैं भुगतने को तैयार हूं। 2 वर्ष पूर्व भी यति नरसिंहानंद द्वारा हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में कथित घृणा भाषण को लेकर देशभर में उनकी आलोचना हुई थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
 
एक दिन पूर्व बुधवार को भी धर्म संसद के आयोजन की अनुमति न मिलने पर यति नरसिंहानंद गिरि ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपने खून से पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि हिन्दू राष्ट्र की बात करते-करते हिन्दू इस देश में दोयम दर्जे का नागरिक बन गया है।
 
पत्र में उन्होंने लिखा था कि वे और उनके कुछ साथी बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दुओं के नृशंस नरसंहार से व्यथित होकर उनकी पीड़ा को दुनियाभर तक पहुंचाने के लिए मायादेवी मंदिर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में विश्व धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं और उनका यह आयोजन किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि जूना अखाड़े के मुख्यालय पर हो रहा है।
 
उन्होंने लिखा कि यह भीड़ एकत्रित करके शक्ति प्रदर्शन करने का कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है बल्कि सीमित संख्या में संतों और प्रबुद्ध नागरिकों का एक छोटा-सा सम्मेलन है। मंदिर के अंदर होने वाले ऐसे किसी कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है। परंतु हरिद्वार के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी शायद हम हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं और हम पर इसके लिए अनुमति मांगने का दबाव बना रहे हैं। पत्र में उन्होंने कहा कि क्या अब हिन्दुओं को अपने धर्म बंधुओं की नृशंस हत्याओं पर रोने के लिए भी सरकार की अनुमति की जरूरत पड़ेगी?(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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