रविवार, 29 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. उर्दू साहित्‍य
  4. »
  5. नई शायरी
Written By WD

बे का जान ए दोस्ती

दोहे

बे का जान ए दोस्ती -
- रमेश सिन्हा नसीम

1.
Aziz AnsariWD

बे का जान ए दोस्ती बे का जाने प्यार
एक हाथ में फूल है दूजे में तलवार

का उपजत है कोख में अब ये देखा जाए
बेटा है तो ख़ैर है बेटी जनम न पा

नीम करेला हो गए जिन लोगन के बोल
दाता उनकी जीभ पे कुछ तो मीठा घो

चल गोरी बा देस में आँख हरी हो जाए
ऐसे में कैसे रहें पेड़ दाँतरू खा

गाँव छोड़ के मैं चला पल पल मन घबरा
जैसे आगे पग धरूँ एड़ी मुड़-मुड़ जा

माँ बाँटी दो भाग में दिल पे गाढ़े ता
बड़ा रहे इस पार तो छोटा है उस पा

हर दिन माटी खोद के ऐसे भए निहाल
सारा जीवन खा गए लकड़ी आटा दा

समय बड़ा बलवान है छोड़े ऐसे ती
सोने में तोले कभी कर दे कभी फ़क़ीर


दया-धरम को आज तो दिया सभी ने छोड
नस-नस में से ख़ून को हँस-हँस लिया निचोड

सुनकर मेरी बात को ख़ून गया था खोल
नीम-करेला हो गए साँचे साँचे बो

क़र्ज़ बक़ाया बाप का था बेटे के ना
काट अँगूठा ले गया बेटा बना ग़ुला

दरदों की दीवार पर नासूरी ऐ फूल
हर दिन शबनम आँख की धोती रहती धूल।

ग़ज़

ND
कभी-कभी वो सोते-सोते हँसता भी है रोता कुछ
हाथ उठाकर पैर चलाकर गूँ गूँ करता बच्चा कु

झूठ-झूठ ही कहते-कहते लोग तो सारे चले ग
तेरी झूठ को मैं ने माना लेकिन सच्चा-सच्चा कु

बातें उसकी कड़वी-कड़वी लेकिन कुछ हैं मीठी भ
कड़वा-कड़वा भूल गया हूँ याद रहा बस मीठा कु

यादों की परतों से छनकर सोया माज़ी जाग उठ
प्यारी-प्यारी बातें उसकी भोला-भाला चेहरा कु

आँखों की पलकों पर वो तो आते-आते सरक ग
नींद ने शायद ढूँढ लिया है दूजा रैन-बसेरा कु

चाँदी की ये सड़क तो जाती सरक-सरक कर चंदा त
रोज़ रात में देखा करता बैठा-बैठा बच्चा कु

उबले जो अल्फ़ाज़ ज़ेहन में लिख डाले सब काग़ज़ पर
कैसा हसीं ये गीत हुआ है ताज़ा ताज़ा ताज़ा कु

फ़ाक़ों के वो दिन तो सारे जाने कब के हवा हु
हर दिन पेट को मिलता रहता रूखा-सूखा बासा कु

दिल ने दिल से बातें कीं तो तार जिस्म के झनक उठ
साँसें सारी महकी-महकी दिल भी नाचा-कूदा कुछ।