1.
सदा ए साज़ भी दस्त ए हुनर की क़ैद में हैहमारा सोज़ ए जिगर नोहागर की क़ैद में हैवो नग़मगी ए मोहब्बत जिसे कहा जाएकिसी की ख़ास अदा के असर की क़ैद में हैमहक गुलों के लिए आम था ज़माने मेंवो अब ख़ुलूस ए बशर भी बशर की क़ैद में हैहिसार तोड़ दे इक पल में मेरे पैकर कामगर ये साँस तो शाम ओ सहर की क़ैद में हैमैं कैसे उसकी रिहाई का फ़ैसला कर दूँमेरी हयात का हासिल नज़र की क़ैद में हैजो आफ़ताब जला देना चाहता था मुझेकिरन किरन मेरे बूढ़े शजर की क़ैद में हैफ़राख़ दिल तो है रिन्दो तुम्हारा ये साक़ीवो इन दिनों कई एहले हुनर की क़ैद में है--------------------------
2.
दराज़ राहे सफ़र क्यूँ तलाश करता है हुनर में रंगे हुनर क्यूँ तलाश करता हैअँधेरी शब में सहर क्यूँ तलाश करता हैवो जुगनूओं का नगर क्यूँ तलाश करता है वो जिसकी तूने कभी फ़िक्रे आबोगिल ही न कीअब उस शजर में समर क्यूँ तलाश करता हैइसे ये शौक़ किसी रोज़ मार डालेगाये दिल नमक में शकर क्यूँ तलाश करता हैहै उसके शिजरे में इक भीड़ आफ़ताबों कीवो सायादार शजर क्यूँ तलाश करता है मैं सारे दश्त को पैरों से रौंदने वालापता नहीं मुझे घर क्यूँ तलाश करता हैकहीं मिलेगा तो पूछूँगा चाँद से साक़ीवो मेरे ज़ख़्मे जिगर क्यूँ तलाश करता।---------------------------------------------