लहू आँखों में अब नहीं आता : मुनफरीद अशआर
लहू आँखों में अब नहीं आताज़ख़्म अब दिल के भर गए शायद ----
मीर तक़ी मीर रोज़ आया न करो उसने कहा था राशिद आज सड़कों पे भटक लूँ वहाँ कल जाऊँगा---
मुमताज़ राशिद अगर न ज़ोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे तो फिर ये कैसे कटे ज़िन्दगी कहाँ गुज़रे ---
जिगरनिगाह ए यार का क्या है हुई हुई न हुईये दिल का दर्द है प्यारे गया गया न गया ---
फ़राज़गुलशन परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़ काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं---
जिगरमेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चाबड़ों की देख के हालत बड़ा होने से डरता है ---
राजेश रेड्डीदिन में जो हँस-हँस के मिलता है अज़ीज़ रात में उठ-उठ के वो रोता है दोस्त ---
अज़ीज़ अंसारीअभी गुलाब गया है तुम्हारे आँगन काजो चुप रहे तो चंबेली भी जाएगी ठाकुर ---
अख्तर नज़्मीक्या लुत्फ़ के मैं अपना पता आप बताऊँकीजे कोई भूली हुई ख़ास अपनी अदा याद ---
जिगरसफ़र अब तो सफ़र होगा हमारानई मंज़िल पे घर होगा हमारा ---
नसीम
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना तेरी ज़ुल्फ़ों का पेचोख़म नहीं है ---
मजाज़बे सबब तूल न दो रस्म ए तअल्लुक़ को ज़मीर टूट जाते हैं वो रिश्ते जिन्हें खींचा जाए ---
ज़मीर क़ाज़मीरोज़ तारों की नुमाइश में ख़लल पड़ता हैचाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ---
राहत इन्दौरीचुनरी की आमद आमद हैरंग अभी से घोल रहा हूँ ---
कालीदास गुप्ता रज़ामुस्कुराना तो मेरी आदत हैहादिसों तुमको क्यूँ अदावत है ---
ख़ुर्शीद मलिकख़त्म हो तो सकती है आदमी की मजबूरी फिर भी ये बआसानी ख़त्म हो नहीं सकती ---
अदीब मालेगाँवीवक़्त की सय्ये मुसलसल कारगर होती गईज़िन्दगी लेहज़ा बलेहज़ा मुख़्तसर होती हई ---
मजाज़सदा ऐश दौराँ दिखाता नहींगया वक़्त फिर हाथ आता नहीं ---
मीर हसन उनका ज़िक्र, उनकी तमन्ना, उनकी यादवक़्त कितना क़ीमती है आजकल ---
शकील बदायूँनीकितनी मुबहम है अभी वक़्त के दिल की धड़कनएक टूटे हुए बरबत की सदा हो जैसे ---
ज़फ़र हमीदी
वक़्त ने बिजलियों को सिखलाया शम्मे काफ़ूर की तरह गलना ---
क़य्यूम नज़रवक़्त के साथ तो चलना ही पड़ेगा ऐ यादहाँ मगर वक़्त बहुत तेज़ क़दम होता है --
शाहजहाँ बानो यादवक़्त पीता है जाम भी प्यारे सुबहा गाती है रोज़ ताज़ा ग़ज़ल गुनगुनाती है शाम भी प्यारे ---
अज़ीज़ अंसारीदेखिए क्या गुल खिलाती है बहार अब के बरसख्वाब में देखा है फ़ानी ने क़फ़स का दर खुला ----
फ़ानीलचक है शाख़ों में, जुम्बिश हवा से फूलों मेंबहार झूल रही है ख़ुशी के झूलों में ---
अमीर मीनाईमौसमे गुल है परस्तान नज़र आता हैहर तरफ़ तख्तेसुलेमान नज़र आता है ---
अदममौसमे गुल में अजब रंग है मैख़ाने काशीशा झुकता है के मुँह चूम ले पैमाने का ---
जलील मानकपुरीउसकी हर जुम्बिशे नज़र के साथ रुख़ बदलती गई बहार अपना ---
इक़बाल सफ़ीपुरीरोशन किए चिराग़े लहद लालाज़ार नेइस मर्तबा तो आग लगा दी बहार ने ---
रियाज़ ख़ैराबादीदुल्हन बनी हुई अबके चमन में आई है बहार हो के तेरी अंजुमन में आई है ---
असर लखनवी
हिलती नहीं हवा से चमन में ये डालियाँमुँह चूमते हैं फूल उरूसे बहार का ---
अमीर मीनाईफ़स्ले बहार आई पियो सूफ़ियों शराब बस हो चुकी नमाज़ मुसल्ला उठाइए ---
आतिश न गुल खिले हैं, न उनसे मिले, न मै पी है अजीब तरहा से अबके बहार गुज़री है ---
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ हम और सैरे लाला ओ गुल हिज्रे यार में कैसी बहार, आग लगा दो बहार में ---
शाद अज़ीम आबादीहर ख़िज़ाँ के ग़ुबार में हमने कारवाने बहार देखा है ---
अफ़सर मेरठीख़िज़ाँ के साथ बहुत दूर मुझको जाना हैन इंतेज़ार कर ऐ मेहफ़िले बहार मेरा ---
रविश सिद्दीक़ीहमनशीं कट ही गया दौरे ख़िज़ाँ भी आख़िर ज़िक्र फूलों का रहा फ़सले बहार आने तक ---
प्रो. ऐह्तेशाम हुसैन देख लो एहले चमन रुसवाइए फ़सले बहार कौन सा गुल है के जिस पर क़तरा ए शबनम नहीं ---
नातिक़ गुलावठीइश्क़ गुलों को ख़ुशबू बाँटे, हुस्न गुलों को रानाईफिर हो चमन का और ही आलम, सैर जो हम तुम साथ करें ---
शमीम करहानीचमन में कौन है पुरसाने हाल शबनम काग़रीब रोई तो ग़ुंचों को भी हँसी आई ---
अर्श मलसियानी
चमन में गिरया ए शबनम ग़लत सही लेकिन सवाल ये है के फूलों को क्यूँ हँसी आई ---
एहसान दानिश ये कौन ज़ेरे ज़मीं इसको गुदगुदाता हैके मुसकुराती हुई हर कली निकलती है ---
जलील मानकपुरीकाँटों से गुज़रना तो बड़ी बात है लेकिन फूलों पे भी चलना कोई आसान नहीं है ---
आसी दानापुरीवो शाख़े गुल पे रहें या किसी की मय्यत परचमन के फूल तो आदी हैं मुस्कुराने के ---
क़दीरग़ुंचों के मुस्कुराने पे कहते हैं हँस के फूलअपना करो ख़्याल हमारी तो कट गई ---
शाद अज़ीमाबादी हमने बरसात के मौसम में जो चाही तौबाअब्र इस ज़ोर से बरसा के इलाही तौबा ---
नामालूमवो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुरसतहमें गुनाह भी करने को ज़िन्दगी कम है---
आनन्द नारायन मुल्लाहाय सीमाब उसकी मजबूरी जिसने की हो शबाब में तौबा ---
सीमाब अकबराबादीकिस ग़ज़ब की हवा में मस्ती है कहीं बरसी है आसमाँ से आज ---
रियाज़ मै से परहेज़, शेख़ तौबा करोइक यही चीज़ तो है पीने की---
अ. ल. तपिश लाहोरीघर टपकता है, और उस पर घर में वो मेहमान हैंपानी पानी हो रही है आबरू बरसात में ---
मुज़तर मुज़फ़्फ़रपुरीलचक है शाख़ों में जुम्बिश हवा से फूलों मेंबहार झूल रही है ख़ुशी के झूलों में ---
अमीर मीनाईदुलहन बनी हुई अब के चमन में आई हैबहार हो के तेरी अंजुमन में आई है ---------
असर लखनवीवीराँ हुआ है बाग़ ख़िज़ाँ से यहाँ तलक चाहें के जल मरें तो कोई ख़ार ओ ख़स नहीं ---
सैयद मोहम्मद बाक़र हज़ींहमनशीं कट ही गया दौरेख़िज़ाँ भी आख़िर ज़िक्र फूलों का रहा फ़स्ले बहार आने तक ---
प्रो. एहतेशाम हुसैन मैं न आता था बाग़ में तुझ बिन मुझको बुलबुल पुकार लाई है ---
मीर हयात ख़िदमते गुलशन में काट दी मैंने वो ख़ार हो के हो गुल मुझको प्यार सब से है ---
बहाउद्दीन कलीम