दोस्त और दोस्ती से मुताल्लिक़ मुनफ़रिद अशआर
* दोस्तों इस क़दर सदमे हुए हैं जान पर दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा* न छेड़ो ज़िक्र मेरे दोस्तों का दुहाई दोस्ती देने लगेगी---------अज़ीज़ अंसारी* हज़ारों मुश्किलें हैं दोस्तों से दूर रहने में मगर इक फ़ायदा है पीठ पर ख़ंजर नहीं लगता -----मुज़फ़्फ़र हनफ़ी * न पूछ कैसे गुज़ारी है ज़िन्दगी ऎ दोस्त बड़ी तवील कहानी है फिर कभी ऎ -----------नामालूम * मुझको यारों न करो राहनुमाओं के सुपुर्द मुझको तुम राहगुज़ारों के हवाले कर दो ------अदम * वफ़ा, इख़लास, रसमोराह, हमदर्दी, रवादारी ये जितनी भी हैं ऎ दोस्त अफ़सानों की बातें हैं -----अक्षात * ये वफ़ा की सख़्त राहें, ये तुम्हारे पा-ए-नाज़ुक न लो इनतिक़ाम मुझसे, मेरे साथ-साथ चलके--------ख़ुमार * दोस्ती से मुझे हो गई दुश्मनी ऎसी की दोस्ती आपने आपने ---------अज़ीज़ अंसारी* इससे बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं सब जुदा हो जाएँ लेकिन ग़म जुदा होता नहीं--------जिगर* हाथ रखकर मेरे सीने पे जिगर थाम लिया तूने ऎ दोस्त ये गिरता हुआ घर थाम लिया------अमीर मीनाई* सब्र-ए-अय्यूब किया, गिरया-ए-याक़ूब किया हमने क्या-क्या न तेरे वास्ते मेहबूब किया-------मज़मूँ * हम भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा करके तुमने अच्छा किया वफ़ा न की----------मोमिन * जग में आकर इधर उधर देखा तू ही आया नज़र जिधर देखा -----मीर दर्द
* जहाँ वो हैं वहीं मेरा तसव्वुर जहाँ मैं हूँ ख्याल-ए-यार भी है * नहीं जानते कुछ कि जाना कहाँ है चले जा रहे हैं मगर जाने वाले * जान ही दे दी जिगर ने आज पा-ए-यार पर उम्र भर की बेक़रारी को क़रार आ ही गया* सब पे तू मेहरबान है प्यारे कुछ हमारा भी ध्यान है प्यारे * तू जहाँ नाज़ से क़दम रख दे वो ज़मीं आसमान है प्यारे* होती ही नहीं कम शब-ए-फ़ुरक़त की सियाही रुखसत हुई क्या शाम के हमराह सहर भी * दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके अब यहाँ आराम ही आराम है * तूल-ए-ग़म-ए-हयात से घबरा न ऎ जिगर ऎसी भी कोई शाम है जिस की सहर न हो
* सभी अन्दाज़-ए-हुस्न प्यारे हैं हम मगर सादगी के मारे हैं * उनका जो फ़र्ज़ है वो एहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुंचे * सय्याद ने लूटा था अनादिल का नशेमन सय्याद का लुटता हुआ घर देख रहा हूँ * उस ने शानों पे ज़ुल्फ़ बरहम की खैर यारब निज़ाम-ए-आलम की * ये इश्क़ नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है * वफ़ा का नाम कोई भूल कर नहीं लेता तेरे सुलूक ने चौंका दिया ज़माने को * दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद * जान कर मिनजुम्ला-ए-खासान-ए-मयखाना मुझे मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे * यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं * दिल को सुकून रूह को आराम आ गया मौत आ गई कि यार का पैग़ाम आ गया
* अगर बख़्शे ज़हे क़िस्मत, न बख़्शे शिकायत क्या सर-ए-तलीम ख़म है जो मिज़ाज-ए-यार में आए -------अक्षात * वीराँ है मयकदा, ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं तुम, क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के-------फ़ैज़ * दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिलफ़रेब हैं ग़म रोज़गार के-----फ़ैज़ * कौन क़ातिल बचा है शहर में फ़ैज़ जिससे यारों ने रस्म-ओ-राह न की------फ़ैज़ * कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब आज तुम याद बेहिसाब आए --------फ़ैज़ * आप की जिस में हो मरज़ी वो मुसीबत बेहतर आपकी जिसमें ख़ुशी हो वो मलाल अच्छा है --------दाग़ * वो ज़माना भी तुम्हें याद है तुम कहते थे दोस्त दुनिया में नहीं दाग़ से बेहतर अपना--------दाग़ * जो शख़्स मुद्दतों मेरे शैदाइयों में था आफ़त के वक़्त वो भी तमाशाइयों में था------शकीला बानो * तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में तो ऎसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं ------फ़िराक़ * रोज़ आया न करो उसने कहा था राशिद आज सड़कों पे भटक लूँ वहाँ कल जाऊँगा----मिमताज़ राशिद
* निगाह-ए-यार का क्या है हुई हुई न हुई ये दिल का दर्द है प्यारे, गया गया न गया-----अहमद फ़राज़ * दिन में जो हँस-हँस के मिलता है अज़ीज़ रात में उठ-उठ के वो रोता है दोस्त -------अज़ीज़ अंसारी * हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया मुझे इस पार रखता है तुम्हें उस पार रखताक है----फ़रहान हनीफ़* बे यार रोज़-ए-ईद शब-ए-ग़म से कम नहीं जाम-ए-शराब दीदा-ए-पुरनम से कम नहीं -------ज़ौक़ * न हुआ पर न हुआ मीर का अंदाज़ नसीब ज़ौक़ यारों ने बहुत ज़ोर ग़ज़ल में मारा -------ज़ौक़ * हम मोहब्बत में भी तोहीद के क़ाइल हैं फ़राज़ एक ही शख़्स को महबूब बनाए रखना -----------अहमद फ़राज़ * दोस्ती उसकी निभ नहीं सकती दिल न माने तो आज़मा देखो -----------मख़मूर सईदी* बात कम कीजे, ज़हानत को छुपाए रहिए अजनबी शहर है ये दोस्त बनाए रहिए ------निदा फ़ाज़ली* दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाए रहिए -----निदा फ़ाज़ली* दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त बन जाएँ तो शर्मिन्दा न हों----बशीर बद्र* मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों ज़ेहर भी इसमें अगर होगा दवा बन जाएगा--------बशीर बद्र