शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. उर्दू साहित्‍य
  4. »
  5. हमारी पसंद
Written By WD

शहर के हाकिम : मुनफरीद अशआर

शहर के हाकिम : मुनफरीद अशआर -
WD

शहर के हाकिम से हो जिस आदमी की दोस्ती
क्यूँ न दे वो आदमी झूठी गवाही बार-बार
--- हमीद गोहर

रज़ा को पहले लिखूँ अम्न का पयामी फिर
हूईं जो नाम पे उसके लड़ाइयाँ लिख दूँ
---कालीदास गुप्ता रज़ा

जहन्नुम हो के जन्नत जो भी होगा फ़ैसला होग
ये क्या कम है हमारा और उनका सामना होगा
---जिगर मुरादाबादी

अपनों ने मेरी नाव में सूराख़ कर दिए
तेरा करम जो मुझको किनारे उतार दे
---डॉ. अशफ़ाक़ अंजु

मानिन्दे बर्क़, मिस्ले हवा, सूरते निगा
अक्सर निकल गए हैं वो मेरे क़रीब से
---दाग़

तेरे क़दमों की आहटें पाकर
मेरा मिट्टी का घर हुआ है फूल
---सलीम अंसारी

हमने हँस-हँस के तेरी बज़्म में ऐ पैकरे नाज़
कितनी आहों को छुपाया है तुझे क्या मालूम
---मजरूह सुल्तानपुरी

इंसाफ़ जहाँगीरे ज़माना से मिले क्या
सच कहने की हिम्मत ही गवाहों में नहीं ह
---अज़ीज़ अंसारी

उठते हुए लमहात को यूँ अपना बना ले
इक लम्हा भी हाथ से न छूटे ऐ दोस्त
----अख़तरुल ईमान

कुछ ज़ख़्म ही खाएँ चलो कुछ गुल ही खिलाए
माना के बहारों का ये मौसम तो नन्हीं है
---मजरूह

राशिद किसे सुनाते गली में तेरी ग़ज़ल
उसकी गली का कोइ दरीचा खुला न था
---मुमताज़ राशिद

कौन है अफ़ज़ल आने वाला
किस का रस्ता देख रहा हू
---अफ़ज़ल जोधपुरी

धूप सबज़े की चादर पे बैठी रही
ज़र्रे सूरज से आँखें मिलाते रहे
---नुसरत ग्वालियरी

जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िरा
आज उस ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो
---फ़िराक़

तलाक़ दे तो रहे हो ग़ुरूर ओ कहर के साथ
मेरा शबाब भी लौटा दो मुझको मेहर के साथ
---नामालूम

हूँ न पागल अपने दुखों को
तेरे सुखों से तौल रहा हूँ
---कालीदास गुप्ता रज़

बज़ाहिर तो यहाँ धड़कन बहुत है
मगर इस दिल में सूनापन बहुत ह
----नामालूम

जंग और मोहब्ब्त में हर बात रवा लेकिन
ईसार ओ वफ़ादारी दस्तूर हमारे है
---अज़ीज़ अंसारी

धनक के रंग हों, गुल हों, शफ़क़ हो
तुम्हारे सामने हर रंग फीका
---परवेज़

ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे
---ग़ालिब

पहले रोज आता जाता था लेकिन सईद अब
ग़म ने मुक़ाम सीने के अन्दर बना लिया
---सईद अख्तर

वो राह सुझाते हैं हमें हज़रत ए रेहबर
जिस राह पे उनको कभी चलते नहीं देख
---अर्श मलसियानी

मैं अपने बचपन में फिर से लौट जाता हूँ
मेरी आँखों में जब बच्चों की नादानी चमकती है
---सलीम अंसारी

हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया
मुझे इस पार रखता है तुझे उस पार रखता है
---फ़रहान हनीफ़

राह देखा करेगा बरसों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
---मीना कुमारी

अँधेरे दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
वफ़ा के गीत सुनाओ तो कोई बात बने
---ग्यास सिद्दीक़

ख़त्म होता ही नहीं तेरे करम का सिलसिला
फिर तू आख़िर किसलिए सुनता नहीं मेरी पुकार
--- अज़ीज़ अंसारी
---------------------