शहर के हाकिम : मुनफरीद अशआर
शहर के हाकिम से हो जिस आदमी की दोस्ती क्यूँ न दे वो आदमी झूठी गवाही बार-बार ---
हमीद गोहर रज़ा को पहले लिखूँ अम्न का पयामी फिर हूईं जो नाम पे उसके लड़ाइयाँ लिख दूँ ---
कालीदास गुप्ता रज़ा जहन्नुम हो के जन्नत जो भी होगा फ़ैसला होगाये क्या कम है हमारा और उनका सामना होगा ---
जिगर मुरादाबादी अपनों ने मेरी नाव में सूराख़ कर दिए तेरा करम जो मुझको किनारे उतार दे ---
डॉ. अशफ़ाक़ अंजुममानिन्दे बर्क़, मिस्ले हवा, सूरते निगाहअक्सर निकल गए हैं वो मेरे क़रीब से ---
दाग़ तेरे क़दमों की आहटें पाकर मेरा मिट्टी का घर हुआ है फूल ---
सलीम अंसारी हमने हँस-हँस के तेरी बज़्म में ऐ पैकरे नाज़ कितनी आहों को छुपाया है तुझे क्या मालूम ---
मजरूह सुल्तानपुरी इंसाफ़ जहाँगीरे ज़माना से मिले क्या सच कहने की हिम्मत ही गवाहों में नहीं है---
अज़ीज़ अंसारी उठते हुए लमहात को यूँ अपना बना लेंइक लम्हा भी हाथ से न छूटे ऐ दोस्त ----
अख़तरुल ईमान कुछ ज़ख़्म ही खाएँ चलो कुछ गुल ही खिलाएँमाना के बहारों का ये मौसम तो नन्हीं है ---
मजरूह राशिद किसे सुनाते गली में तेरी ग़ज़ल उसकी गली का कोइ दरीचा खुला न था ---
मुमताज़ राशिद
कौन है अफ़ज़ल आने वाला किस का रस्ता देख रहा हूँ---
अफ़ज़ल जोधपुरी धूप सबज़े की चादर पे बैठी रही ज़र्रे सूरज से आँखें मिलाते रहे ---
नुसरत ग्वालियरी जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़आज उस ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो ---
फ़िराक़ तलाक़ दे तो रहे हो ग़ुरूर ओ कहर के साथ मेरा शबाब भी लौटा दो मुझको मेहर के साथ ---
नामालूम हूँ न पागल अपने दुखों को तेरे सुखों से तौल रहा हूँ ---
कालीदास गुप्ता रज़ाबज़ाहिर तो यहाँ धड़कन बहुत है मगर इस दिल में सूनापन बहुत है----
नामालूम जंग और मोहब्ब्त में हर बात रवा लेकिन ईसार ओ वफ़ादारी दस्तूर हमारे हैं---
अज़ीज़ अंसारी धनक के रंग हों, गुल हों, शफ़क़ हो तुम्हारे सामने हर रंग फीका ---
परवेज़ ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे ---
ग़ालिब पहले रोज आता जाता था लेकिन सईद अब ग़म ने मुक़ाम सीने के अन्दर बना लिया ---
सईद अख्तर वो राह सुझाते हैं हमें हज़रत ए रेहबर जिस राह पे उनको कभी चलते नहीं देखा---
अर्श मलसियानी मैं अपने बचपन में फिर से लौट जाता हूँ मेरी आँखों में जब बच्चों की नादानी चमकती है ---
सलीम अंसारी हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया मुझे इस पार रखता है तुझे उस पार रखता है ---
फ़रहान हनीफ़ राह देखा करेगा बरसों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा ---
मीना कुमारी अँधेरे दिल से मिटाओ तो कोई बात बने वफ़ा के गीत सुनाओ तो कोई बात बने ---
ग्यास सिद्दीक़ीख़त्म होता ही नहीं तेरे करम का सिलसिला फिर तू आख़िर किसलिए सुनता नहीं मेरी पुकार ---
अज़ीज़ अंसारी ---------------------