बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना
पेशकश : अज़ीज़ अंसारी बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरनातेरी ज़ुल्फ़ों का पच-ओ-ख़म नहीं है------मजाज़कहते हैं के आता है मुसीबत में ख़ुदा याद हम पर तो वो गुज़री के ख़ुदा भी न रहा याद----सिकन्दर अली वज्द पहुँचे जिस वक़्त मंज़िल पे तब ये खुलाज़िन्दगी रास्तों में बसर हो गई ---------------वामिक़ जोनपुरीवो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुरसत हमें गुनाह भी करने को ज़िन्दगी कम है -------आनंद नारायण मुल्लाएक मुद्दत से तेरी याद भी आई नहीं हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं -------फ़िराक़ जो ग़म हद से ज़्यादा हो ख़ुशी नज़दीक होती है चमकते हैं सितारे रात जब तारीक होती है -------अफ़सर मेरठीइक मोअम्मा है समझने का न समझाने काज़िन्दगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का -------फ़ानीसुनी एक भी बात तुमने न मेरीसुनी हमने सारे ज़माने की बातें -----अमीर मीनाईअंगूर में थी ये शै पानी की चार बूँदेंजिस दिन से खिंच गई है तलवार हो गई है -----अमीर मीनाईआए भी लोग, बैठे भी, उठ कर चले गए मैं जा ही ढूँढता तेरी महफ़िल में रह गया ---आतिश शायद इसी का नाम मोहब्बत है शैफ़ताइक आग सी है सीने के अन्दर लगी---------शैफ़ता