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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (17:52 IST)

योगी कैबिनेट से स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान का इस्तीफा BJP के लिए रेड अलर्ट!, बड़ा सवाल भाजपा में क्यों मची भगदड़?

योगी कैबिनेट से स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान का इस्तीफा BJP के लिए रेड अलर्ट!, बड़ा सवाल भाजपा में क्यों मची भगदड़? - Resignation of Swami Prasad Maurya and Dara Singh Chouhan Red alert for UP-BJP, big question why stampede in BJP?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब एक महीने पहले 8 दिसंबर 2021 को अपनी गोरखपुर रैली में यूपी की सियासत में पहली बार रेड अलर्ट शब्द का उपयोग किया था। प्रधानमंत्री ने लाल टोपी वालों को यूपी के लिए रेड अलर्ट बताया था। लेकिन एक महीने का वक्त बीतते है यहीं लाल टोपी अब उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए रेड अलर्ट बनती दिख रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह योगी कैबिनेट के दो बड़े मंत्रियों का सरकार से इस्तीफा देकर लाल टोपी पहने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर आना। 

दो दिन में दो मंत्रियों और कई विधायकों के इस्तीफे के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा मेंं रेड अलर्ट हो गया है। लगातार दो दिन में दो मंत्रियों के इस्तीफे के लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा में हड़कंप मच गया है। मंगलवार को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद आज मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। दो दिन में दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद अब भी उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक और मंत्री के इस्तफे की अटकलें लगाई जा रही है।
ऐसे में जब उत्तरप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लग चुकी है और पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में है तब पार्टी के बड़े नेताओं और विधायकों का पार्टी से बगावत करना एक नहीं कई सवालों को जन्म देता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या उत्तप्रदेश में भाजपा के पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में अंसतोष की आग जो लंबे समय से धधक रही है उसमें स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे ने एक चिंगारी देने का काम किया है।

चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देने वाले उत्तर प्रदेश भाजपा के दोनों दिग्गज मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह पिछड़े वर्ग से आते है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अचानक क्यों ओबीसी वर्ग के नेता भाजपा से छिटकने लगे है। 
उत्तरप्रदेश की सियासत को करीबी से देखने वाले लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा में मची भगदड़ का सबसे बड़ा कारण भाजपा से जुड़े बड़े ओबीसी नेताओं पर भाजपा से नाराज ओबीसी कम्युनिटी का भारी दबाव है। 2017 में जिस ओबीसी वर्ग ने एक मुश्त में भाजपा का साथ दिया था वह अब लगता है कि पार्टी से छिटक गया है। आरक्षण और जातीय जनगणना को लेकर उत्तर प्रदेश में ओबसी वर्ग में एक अंदरूनी बैचेनी है। बीते पांच सालों में जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने सरकार चलाई उससे ओबीसी वर्ग में एक मैसेज यह गया है कि भाजपा एक बार फिर ब्राह्म्ण, बनिया और ठाकुर की पार्टी हो गई है।
 
इसके साथ जब चुनाव आचार संहिता लग चुकी है तब भाजपा से जुड़े बड़े नेताओं के इस्तीफे कहीं न कहीं इस बात को भी बता रहे है कि भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। अगर इन नेताओं को लगता है कि चुनाव में भाजपा  की स्थिति अच्छी है तो वह कभी भी पार्टी छोड़ने का निर्णय नहीं लेते। नेता पार्टी तभी छोड़ते है जब वह इस बात को अच्छी तरह जानते है कि पार्टी सत्ता में नहीं आ रही है। 

इसके साथ कई अन्य भाजपा विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी की कार्य प्रद्धति और कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। भाजपा में चुनाव के समय भगदड़ का बड़ा कारण है कि पार्टी के नेताओं को जमीनी हकीकत (ग्रास रूट रियलिटी) का पता नहीं होना है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व में इस गलतफहमी में जी रहा है कि सब कुछ अच्छा ही अच्छा है, जबकि धरातल पर पार्टी का कर्मठ कार्यकर्ता ही नाराज है।

राजधानी लखनऊ से मात्र 100 किलोमीटर दूरी पर स्थिति बहराइच जिले के भाजपा नेता और पार्टी के कर्मठ जमीनी कार्यकर्ता, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अमरेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि आज पार्टी का जमीन कार्यकर्ता निराश है। पार्टी में समर्पित कार्यकर्ताओं की जिस तरह से पांच साल उपेक्षा की गई वहीं दूसरे दलों से आए लोगों ने सत्ता की हनक दिखाकर मलाई काटी उससे अब चुनाव के वक्त पार्टी का कार्यकर्ता खमोश हो गया है और जब अब कोरोना के चलते बड़ी रैलियां नहीं होकर डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार हो रहा है तब कार्यकर्ताओं की खमोशी पार्टी के लिए काफी मुसीबत भी बन सकती है। 
 
भाजपा के कोर कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपने ही ‘इगो चैंबर’ में रहने लगता है  तब उसे इस बात की गलतफहमी हो जाती है कि वह पॉपुलर है और ऐसे में उसकी जमीन खिसकने लगती है,जोकि आज उत्तर प्रदेश भाजपा में हो रहा है। आज पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता ही उससे नाराज है। जो भाजपा बूथ पर अपने कार्यकर्ता के बल पर जीत हासिल करती आई थी उससे पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ना सकता है। 
 
आज भाजपा वहीं गलती कर रही है जो कांग्रेस कर चुकी है। कांग्रेस ने कभी इंदिरा इज इंडिया का नारा देकर लोकल नेताओं को दरकिनार कर दिया जिसके चलते कांग्रेस की रीढ़ ही टूट गई है। कुछ इस तरह की गलत आज भाजपा कर रही है।

2014 में जबसे भाजपा केंद्र की सत्ता में आई थी तब से उसे दलित, ओबीसी के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व पता था लेकिन अब भाजपा को यह गलतफहमी आ गई है कि सब कुछ हम से ही है। आज भाजपा के दोनों प्रमुख चेहरे मोदी और योगी को इस बात की गलतफहमी हो गई कि चुनाव जीतने के लिए 'हम' ही काफी है। ऐसे में 'हम' का अंहकार अब चुनाव के समय भारी पड़ रहा है।