तेनालीराम की कहानियां : महान पुस्तक
एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक महान विद्वान आया। उसने वहां दरबार में उपस्थित सभी विद्वानों को चुनौती दी कि पूरे विश्व में उसके समान कोई बुद्धिमान व विद्वान नहीं है। उसने दरबार में उपस्थित सभी दरबारियों से कहा कि यदि उनमें से कोई चाहे तो उसके साथ किसी भी विषय पर वाद-विवाद कर सकता है, परंतु कोई भी दरबारी उससे वाद-विवाद करने का साहस न कर सका।
अंत में सभी दरबारी सहायता के लिए तेनालीराम के पास गए। तेनालीराम ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया और दरबार में जाकर तेनाली ने विद्वान की चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों के बीच वाद-विवाद का दिन भी निश्चित कर दिया गया।निश्चित दिन तेनालीराम एक विद्वान पंडित के रूप में दरबार पंहुचा। उसने अपने एक हाथ में एक बड़ा-सा गट्ठर ले रखा था, जो देखने में भारी पुस्तकों के गट्ठर के समान लग रहा था। शीघ्र ही वह महान विद्वान भी दरबार में आकर तेनालीराम के सामने बैठ गया।