तेनालीराम की कहानियां : जाड़े की मिठाई
एक बार राजमहल में राजा कृष्णदेव राय के साथ तेनालीराम और राजपुरोहित बैठे थे। जाड़े के दिन थे। सुबह की धूप सेंकते हुए तीनों बातचीत में व्यस्त थे, तभी एकाएक राजा ने कहा- ‘जाड़े का मौसम सबसे अच्छा मौसम होता है। खूब खाओ और सेहत बनाओ।’खाने की बात सुनकर पुरोहित के मुंह में पानी आ गया। बोला- ‘महाराज, जाड़े में तो मेवा और मिठाई खाने का अपना ही मजा है, अपना ही आनंद है।’‘अच्छा बताओ, जाड़े की सबसे अच्छी मिठाई कौन-सी है?’ राजा कृष्णदेव राय ने पूछा।
पुरोहित ने हलवा, मालपुए, पिस्ते की बर्फी आदि कई मिठाइयां गिना दीं।राजा कृष्णदेव राय ने सभी मिठाइयां मंगवाईं और पुरोहित से कहा- ‘जरा खाकर बताइए, इनमें सबसे अच्छी कौन-सी है?’ पुरोहित को सभी मिठाइयां अच्छी लगती थीं। किस मिठाई को सबसे अच्छा बताता?तेनालीराम ने कहा, ‘सब अच्छी हैं, मगर वह मिठाई यहां नहीं मिलेगी।’‘कौन-सी मिठाई?’ राजा कृष्णदेव राय ने उत्सुकता से पूछा- ‘और उस मिठाई का नाम क्या है?’