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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 5 सितम्बर 2024 (11:56 IST)

Teachers Day: शिक्षक और गुरु के बीच हैं 10 अंतर

Teachers Day: शिक्षक और गुरु के बीच हैं 10 अंतर - What is the difference between a teacher and a Guru
Teachers Day: हमारे देश में प्राचीन काल से ही गुरु परंपरा चली आ रही है गुरु को शिक्षक या अध्यापक भी माना जाता है परंतु गुरु का पद शिक्षक से ऊंचा होता है। डॉक्टर राधाकृष्‍णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाते हैं और वेद व्यास की जयंती पर गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। आओ जानते हैं शिक्षक और गुरु के बीच के 10 अंतर।
 
1. शिक्षक हमें दिशा दिखाता है और गुरु हमारी दशा सुधारता है। 
 
2. शिक्षक का काम जीवन संबंधी और विषयों की शिक्षाओं को देना होता है जबकि गुरु का काम अध्यात्म संबंधी शिक्षा भी देना होता है। 
 
3. शास्त्रों के अनुसार संसार के प्रथम गुरु भगवान शिव को माना जाता है जिनके सप्तऋषि गण शिष्य थे। उसके बाद गुरुओं की परंपरा में भगवान बृहस्पति और दत्तात्रेय का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। जबकि शिक्षकों की बात करें तो उन्हें उपाध्याय और आचार्य माना जाता था तो कि गुरुकुल में नियुक्त होते थे। 
 
4. शिवपुत्र कार्तिकेय और भक्त प्रह्लाद को गुरु दत्तात्रेय ने अनेक विद्याएं दी थीं। भगवान राम के गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र थे तो श्रीकृष्ण के गुरु ऋषि गर्ग मुनि और सांदिपनी ऋषि सहित कई ऋषि थे। इसी तरह भगवान बुद्ध के गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि थे। आदिशंकराचार्य के गुरु  महावतार बाबा थे तो गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछंदरनाथ) थे। जिन्हें 84 सिद्धों का गुरु माना जाता है। रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी महाराज थे तो ओशो के गुरु मग्गाबाबा, पागल बाबा और मस्तो बाबा थे। उपरोक्त सभी गुरुओं ने अपने शिष्यों को जो दिया वह आज का टीचर या शिक्षक नहीं दे सकता।
 
5. 'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और 'रु' शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। शिक्षक का अर्थ है शिक्षा देने वाला। जैसे गुरु द्रोण ने कौरव और पांडवों को मोक्ष की नहीं धनुष विद्या की शिक्षा दी थी। 
Guru
6. हालांकि यह भी माना जाता कि वर्तमान में जो स्कूल में किसी भी प्रकार की शिक्षा दे रहे हैं वे भी गुरु ही हैं। गुरु जो आपको कोई गुर सिखाए, विद्या सिखाए, संगीत या नृत्य सिखाए या फिजिक्स सिखाए। दूसरा वह गुरु जो जो आपकी नींद तोड़ दे और आपको मोक्ष के मार्ग पर किसी भी तरह धकेल दे। 
 
7. मतलब यह कि दो तरह के गुरु हुए एक वे जो हमें धर्म का मार्ग बताकर मोक्ष की ओर ले जाए और दूसरे वे जो हमें सांसार का मार्ग बताकर हमें सांसार में रहने के काबिल बनाए। सांसार के काबिल बनाने वाला गुरु को शिक्षक या अध्यापक कहते हैं और संन्यास के काबिल जो बनाए वह गुरु एक संत होता है। दोनों ही गुरुओं को अपना अपना महत्व है दोनों ही चूंकि शिक्षा ही देते हैं तो उन्हें शिक्षक भी कहा जाएगा।
 
8. गुरु और अध्यापक में फर्क यह है कि अध्यापक सिर्फ अध्ययन कराने से जुड़ा है,जबकि गुरु अध्ययन से आगे जाकर जिन्दगी की हक़ीकत से भी रूबरू कराता है और उससे निपटने के गुर सिखाता है।
 
9. गुरु परंपरा में गुरु से ज्यादा महत्वपूर्ण शिष्य होता है। शिष्य की मुमुक्षा की परख होती है जबकि शिक्षक परंपरा में शिक्षक ही महत्वपूर्ण होता है। शिक्षक जितना ज्यादा योग्य होगा छात्र का मार्ग उतना आसान होगा।
 
10. शिष्य से ही गुरु की महत्ता है जबकि शिक्षक से ही विद्यार्थी की महत्ता है। यदि कोई शिष्य उस गुरु से सीखने को तैयार नहीं है तो वह गुरु नहीं हो सकता। गुरुत्व शिष्यत्व पर निर्भर है।
 
सावधान रहें: आजकल तो कोई भी व्यक्ति किसी को भी गुरु बनाकर उसकी घर में बड़ीसी फोटो लगाकर पूजा करने लगा है और ऐसा वह इसलिए करता है क्योंकि वह भी उसी गुरु की तरह गुरु घंटाल होता है। कथावाचक भी गुरु है और दुष्कर्मी भी गुरु हैं। आश्रम के नाम पर भूमि हथियाने वाले भी गुरु हैं और मीठे-मीठे प्रवचन देकर भी गुरु बन जाते हैं। इनके धनबल, प्रवचन और शिष्यों की संख्या देखकर हर कोई इनका शिष्य बनना चाहेगा क्योंकि सभी के आर्थिक लाभ जुड़े हुए हैं। अंधे भक्तों के अंधे गुरु होते हैं। इसलिए ऐसे गुरुओं से बचकर रहें। ऐसे ही शिक्षक भी होते हैं जिन्हें आता जाता तो कुछ नहीं बस बातों को गोलमोल करते रहकर टाइम पास करते हैं और आपको ढेर सारा होमवर्क दे देते हैं।

- Anirudh Joshi
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