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Written By WD

लंका में बजा भारत का डंका

श्रीलंका को 147 रनों से रौंदकर सिरीज जीती

लंका में बजा भारत का डंका -
मैन ऑफ द मैच युवराजसिंह और वीरेंद्र सहवाग के शानदार शतकों की मदद से 'धोनी के धुरंधरों' ने मंगलवार को यहाँ तीसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में श्रीलंका को 147 रनों से रौंदकर पाँच मैचों की वनडे सिरीज अपने नाम कर ली।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया युवराज (117) और सहवाग (116) के बीच तीसरे विकेट के लिए 221 रन की साझेदारी की बदौलत पाँच विकेट पर 363 रन बनाकर श्रीलंकाई सरजमीं पर अपना सर्वाधिक स्कोर बनाने में सफल रही।

इस विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंकाई टीम कुमार संगकारा के 82 गेंद में 83 रन के बावजूद 41.4 ओवर में महज 216 रन के स्कोर पर ढेर हो गई। स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों को पैवेलियन भेजने में अहम भूमिका निभाई और 38 रन देकर चार विकेट चटकाए। भारत ने इस तरह सिरीज में 3-0 की अजेय बढ़त बना ली। अब दोनों टीमें गुरुवार को यहाँ चौथे मैच के लिए आमने-सामने होंगी।

ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने जब युवराजसिंह को पैवेलियन भेजकर वसीम अकरम के 502 वनडे विकेट के रिकॉर्ड की बराबरी की तो प्रेमदासा स्टेडियम में बैठे दर्शक खुशी से झूम उठे। आज उन्हें झूमने का सिर्फ यही मौका मिल पाया। यह भारत का श्रीलंकाई सरजमीं पर सर्वाधिक स्कोर भी है। इससे पहले उसने 1998 में इसी स्थान पर छह विकेट पर 307 रन बनाए थे।

श्रीलंका की शुरुआत ही काफी खराब रही। दिलशान (30), संगकारा (83), जयवर्धने (30) और परवेज माहरूफ (22) ने ही उल्लेखनीय बल्लेबाजी की, जबकि शेष खिलाड़ी जयसूर्या (0), कपूगेदरा (2), कुलशेखरा (3), मुरलीधरन (0) दहाई के आँकड़े तक भी नहीं पहुँच सके। भारत की ओर से प्रज्ञान ओझा ने 4, प्रवीण कुमार ने 2 तथा जहीर, सहवाग और युवराज ने एक-एक विकेट लिया।

इससे पहले युवराज और सहवाग के तूफान के बाद स्थानीय दर्शकों के लिए यूसुफ पठान (59) का जलवा देखना बाकी था। पठान ने आतिशी पारी से दर्शकों को आंदोलित कर डाला। उन्होंने मात्र 33 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया, जिसमें तीन छक्के और तीन चौके शामिल थे।

युवराजसिंह ने आज एक बार फिर उपकप्तानी पारी खेली और भारतीय टीम के लिए रनों का अंबार खड़ा कर डाला। युवी ने अपने वनडे करियर का 11वाँ शतक जमाया और जैसे ही उनका शतक पूरा हुआ, उन्होंने इसे ड्रेसिंग रूम में बैठे साथी खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर को समर्पित किया। सचिन ने भी युवी के इशारे का आदर करते हुए लंकाई गेंदबाजी का उपहास उड़ाया।

युवराज और सहवाग का बल्ला आज पूरे शबाब पर था। लंकाई गेंदबाज फर्नान्डो, मुरलीधरन, अजंता मेंडिंस, जयसूर्या, माहरूफ में से कोई भी भारतीय बल्लेबाजों पर अंकुश नहीं लगा सका। युवी-सहवाग ने मैदान के चारों ओर रनों की झड़ी लगाकर लंकाई क्षेत्ररक्षण में हड़कम्प मचा दिया।

युवराजसिंह जब 117 रन के निजी स्कोर पर थे, तभी मुरलीधरन की गेंद पर महेला जयर्धने ने उन्हें लपक लिया। इसके बाद वीरेन्द्र सहवाग भी 116 रनों के निजी स्कोर पर नॉन स्ट्राइक एंड पर सनथ जयसूर्या के सटीक थ्रो पर रन आउट हो गए। सहवाग जब आउट हुए, तब भारत 35 ओवर के पूर्व ही 265 रन एकत्र कर चुका था।

38.3 ओवर में जब भारत के 278 रन बने थे, तब सुरेश रैना मेंडिस की गेंद पर फ्रंट फुट पर स्ट्रोक खेलने गए लेकिन पूरी तरह चूक गए। विकेटकीपर कुमार संगकारा ने रैना (9) का विकेट लेने में कोई चूक नहीं की।

इससे पूर्व प्रेमदासा स्टेडियम में भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ने सिक्का जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। सचिन तेंडुलकर को ‍फर्नान्डो ने दूसरे ही ओवर में पगबाधा आउट करके बड़ा झटका दिया। सचिन के बाद गौतम गंभीर भी 10 रन ने निजी स्कोर पर रन आउट हो गए।

यह लगातार तीसरा मौका है जबकि सचिन तेंडुलकर को अंपायरों ने पगबाधा आउट दिया है। आश्चर्य की बात तो यह भी है कि इन तीनों ही प्रसंगों पर सचिन अंपायर के गलत फैसले का शिकार हुए। आज भी फर्नान्डो की लेग स्टम्प्स से बाहर जाती गेंद पर उन्हें पगबाधा आउट दे दिया।

दूसरे वनडे मैच में सचिन के अलावा युवराजसिंह भी अंपायर के गलत निर्णय का शिकार बने थे। आज यह तो उम्मीद लगाई जा रही थी कि कम से कम तीसरे वनडे में निष्पक्ष निर्णय देखने को मिलेंगे लेकिन आज तो आगाज ही गलत फैसले से हुआ है।

पाँच वनडे मैचों की सिरीज में भारत पहले दोनों वनडे मैच जीतकर 2-0 से आगे है और यदि आज का भी मैच वह जीत जाता है तो सिरीज पर अपना कब्जा जमा लेगा।