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Written By ND

शूटिंग को भारत जैसा सम्मान इंग्लैंड में नहीं

कॉमनवेल्थ गेम्स
किरण वाईकर
FILE
इंग्लैंड के 56 वर्षीय पिस्टल शूटर माइकल गोल्ट के पास कॉमनवेल्थ गेम्स इतिहास का सर्वाधिक सफल खिलाड़ी बनने का मौका है। वे दबाव में नहीं हैं, क्योंकि उनके अनुसार उनसे ज्यादा दबाव तो भारतीय शूटर्स पर उन्हें इस उपलब्धि को हासिल करने से रोकने का है।

कॉमनवेल्थ गेम्स में अभी तक 15 पदक हासिल कर चुके गोल्ट इस दुर्लभ उपलब्धि से 4 पदक दूर हैं और वे इस बार 8 वर्गों में हिस्सा ले रहे हैं।

हँसमुख स्वभाव के गोल्ट पाँचवीं बार इन गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं और वे इस विशिष्ट उपलब्धि को हासिल करने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। यदि गोल्ट 4 पदक प्राप्त कर लेंगे तो कॉमनवेल्थ गेम्स इतिहास में सर्वाधिक पदक विजेता के रूप में ऑस्ट्रेलिया के पिस्टल शूटर फिलिप एडम्स (18 पदक) का कीर्तिमान भंग कर देंगे।

गोल्ट का प्रदर्शन फरवरी में दिल्ली में संपन्न कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में अच्छा नहीं रहा था, इसके बावजूद वे इस बार बेहतर प्रदर्शन करने के लिए संकल्पित हैं। उनके अनुसार भारतीयों पर मुझे रोकने तथा अपने दर्शकों के समक्ष खेलने की वजह से ज्यादा दबाव रहेगा।

गोल्ट 50 मीटर फ्री पिस्टल, 10 मी. एयर पिस्टल, 25 मी. सेंटर फायर पिस्टल तथा 25 मी. स्टैंडर्ड पिस्टल के एकल तथा पेयर्स वर्ग में दावेदारी पेश करेंगे।

गोल्ट को शूटिंग में दी गई सेवाओं को देखते हुए 2008 में ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर (ओबीई) से सम्मानित किया गया था और वे इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। वे इस सम्मान को पाने वाले देश के पहले शूटर हैं।

गोल्ट ने कहा कि शूटिंग को जैसा सम्मान भारत में मिलता है, वैसा इंग्लैंड में नहीं मिलता है। भारत में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के पदक विजेता शूटर्स को इनामी राशि प्रदान की जाती है तथा खेल कोटे में नौकरियाँ भी दी जाती हैं। ये सुविधाएँ इंग्लैंड के शूटर्स को नहीं हैं। वैसे भारत ने शूटिंग में पिछले कुछ वर्षों में बेहद तरक्की की है और इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में वह एक महाशक्ति बन गया है।

गोल्ट ने 1994 के कॉमनवेल्थ गेम्स (विक्टोरिया) में 50 मी. फ्री पिस्टल स्पर्धा से स्वर्णिम सफर शुरू किया था और यह सफर आज भी जारी है। यह उनका अंतिम कॉमनवेल्थ गेम्स है।

युवा शूटर्स के लिए उनका कहना है कि आनंद के लिए खेलों, क्योंकि इस खेल में थोड़ा सा तनाव या दबाव खिलाड़ी के प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित कर देता है।