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Written By वार्ता

एक ही को मिलेगा 'राजीव गाँधी खेल रत्न'

एक ही को मिलेगा ''राजीव गाँधी खेल रत्न'' -
गत वर्ष देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न तीन खिलाड़ियों को संयुक्त रूप से दिए जाने को लेकर उठे विवाद के बाद सरकार ने फैसला किया है कि अब से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रत्येक वर्ष एक खिलाड़ी को ही दिया जाएगा, लेकिन ओलिम्पिक पदक जीतने की विशेष परिस्थिति में इस पुरस्कार के लिए लचीलापन लाया जा सकता है।

गत वर्ष ओलिम्पिक काँस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह और पहलवान सुशील कुमार तथा विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियन एमसी मैरीकाम को संयुक्त रूप से राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया था। हालाँकि इससे पहले इस पुरस्कार को लेकर विवाद भी चला था और तीनों ही खिलाड़ियों ने अपनी तरह से अलग-अलग बयान दिए थे।

सरकार ने गत वर्ष एक समिति का गठन किया था जिसे राष्ट्रीय पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया की समीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समिति को इन पुरस्कारों के लिए मौजूदा योजनाओं में तार्किक सुझाव देने और चयन प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए कहा गया था।

खेल मंत्रालय प्रत्येक वर्ष विभिन्न राष्ट्रीय खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान करता है। समिति ने अपनी सिफारिशें खेल मंत्रालय को सौंप दी हैं और खेल मंत्रालय ने इन सिफारिशों के मद्देनजर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की योजनाओं में कुछ बदलाए किए हैं।

खेल मंत्रालय ने अब से यह निर्धारित कर दिया है कि प्रत्येक वर्ष राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार केवल एक खिलाड़ी को ही दिया जाएगा, लेकिन इस शर्त में विशेष परिस्थिति के चलते शिथिलता लाई जा सकती है। जैसे कि ओलिम्पिक पदक जीतना।

सरकार ने यह भी फैसला किया है कि अर्जुन पुरस्कार के संबंध में एक खेल के लिए एक पुरस्कार का सिद्धांत टीम खेलों और महिलाओं के संबंध में हटा दिया गया है। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि अर्जुन पुरस्कार के निर्धारित 15 की संख्या को उचित तर्क और खेल मंत्रालय की स्वीकृति से बढ़ाया भी जा सकता है। मरणोपरांत अर्जुन पुरस्कार प्रदान करने के लिए तीन वर्ष की समयसीमा को भी समाप्त कर दिया है।

द्रोणाचार्य पुरस्कारों के संबंध में पाँच पुरस्कारों में से दो पुरस्कार अब प्रशिक्षण में आजीवन योगदान के लिए दिए जाएँगे। इसके साथ ही एक मौजूदा नियम को हटा दिया गया है कि कोच ने प्रदर्शन से ठीक पहले के दो वर्ष के दौरान अपने एथलीट को प्रशिक्षण दिया हो।

अब अपने शिष्य या प्रशिक्षु की उपलब्धियों के लिए कोच के ओवरऑल योगदान को देखा जाएगा। इसके साथ ही नामित कोच को उस समय का विवरण देना होगाँ जब उसने अपने प्रशिक्षु को प्रशिक्षण दिया था। इसके लिए उसे अब अपने संबंद्ध प्रशिक्षु से एक प्रमाणपत्र भी संलग्न करना होगा।

सरकार ने यह भी फैसला किया है कि राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के सभी वर्गों में ऐसे किसी योग्य खिलाड़ी या कोच को नामित करने का अधिकार उसके पास रहेगा, जिसे चुनने वाली समिति ने या तो छोड़ दिया हो या फिर नामित नहीं किया हो।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल उन्हीं खिलाड़ियों को पुरस्कार मिले जिनका साफ सुथरा रिकॉर्ड है सरकार ने फैसला किया है कि नामित करने वाले अधिकारी को नामांकन पत्र में यह प्रमाणित करना होगा कि नामित खिलाड़ी किसी तरह के अवैध कार्य में शामिल नहीं है और उसने अनुशासनहीनता का कोई काम नहीं किया है। (वार्ता)