नई दिल्ली। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने पहलवान नरसिंह यादव को आज डोपिंग आरोपों से बरी कर दिया जिससे उनका रियो ओलंपिक जाने का रास्ता साफ हो गया। नाडा ने कहा कि यह पहलवान साजिश का शिकार हुआ। नरसिंह के 25 जून को प्रतिबंधित एनाबोलिक स्टेराइड मिथानाडाईनोन का पाजीटिव पाए जाने से शुरू हुए पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे इस नाटक के बाद नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने उसके भाग्य पर संदेह खत्म करते हुए उसे बरी करने का बयान पढ़ा।
अग्रवाल ने इस फैसले को पढ़ते हुए कहा, हमने बीते समय के :दो जून तक: के नमूने को ध्यान में रखा, जिसमें उसका कोई भी नमूना पाजीटिव नहीं पाया गया था। यह बात समझ से बाहर थी कि एक बार यह प्रतिबंधित पदार्थ लेने से क्या फायदा होगा। इसलिए पैनल का मानना था कि एक बार लिया गया पदार्थ ‘जान बूझकर’नहीं लिया गया था।
उन्होंने साथ ही कहा, पैनल ने माना कि यह एथलीट नाडा की डोपिंग रोधी संहिता की 10.4 धारा के लाभ का हकदार है। यह ध्यान में रखते हुए कि वह साजिश का शिकार हुआ, पैनल ने नाडा के डोपिंग रोधी नियमों के आरोपों से उसे बरी कर दिया। अग्रवाल ने कहा कि पांच जुलाई को लिए गए नमूने में 25 जून को लिए गए नमूने की तुलना में काफी कम प्रतिबंधित पदार्थ था।
उन्होंने कहा, 25 जून को लिए गए नमूने की रिपोर्ट में प्रतिबंधित पदार्थ की जितनी मात्रा पाई ग थी, वह पांच जुलाई को लिए गए नमूने में काफी कम हो गई। अग्रवाल ने कहा, अहम बात यह है कि जब एथलीट का पांच जुलाई को दूसरा नमूना लिया गया था तो उसे पहले नमूने की रिपोर्ट पता नहीं थी। अगर यह खिलाड़ी नियमित रूप से इसे ले रहा होता तो पांच जुलाई की रिपोर्ट में इस प्रतिबंधित पदार्थ की मात्रा उतनी ही होती। राहत की सांस ले रहे नरसिंह ने कहा कि वह अब ओलंपिक जाने और देश के लिए पदक जीतने के लिए बेताब हैं।
उन्होंने कहा, मैं बहुत खुश हूं और ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद लगाए हूं। सच्चाई की जीत हुई। यह सुनिश्चित करेगा कि किसी अन्य खिलाड़ी के साथ ऐसा कुछ नहीं हो। यह बड़ी जीत है। नरसिंह ने कहा, मैं जानता था कि मैं सही हूं और मुझे न्याय मिलने का पूरा भरोसा था। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह ने कहा कि नरसिंह को ओलंपिक टीम में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस डोपिंग प्रकरण के सामने आने के बाद भारत का 74 किग्रा वर्ग में कोटा स्थान बचाने के लिए रियो जाने वाली टीम में उनकी जगह प्रवीण राणा को भेजने की घोषणा की गई थी।
सिंह ने कहा, देश का कोटा बचाने के लिए हमने प्रवीण राणा का नाम भेजा था और विश्व संस्था को बताया था कि अगर नरसिंह को हरी झंडी मिल जाती है तो उसे ही भेजा जाए गा। हमने यूनाईटेड विश्व कुश्ती को बता दिया था कि नरसिंह के डोपिंग से बरी होने के बाद वह प्रवीण राणा की जगह लेगा। उन्होंने कहा, हमें पूरा भरोसा है कि नरसिंह जाए गा, फैसले से स्पष्ट है कि नरसिंह साजिश का शिकार हुआ था। नाडा ने इस पर सहमति दे दी है तो अब नरसिंह यादव रियो जाएगा।
नाडा ने यह फैसला पिछले हफ्ते तीन दिन की मैराथन सुनवाई के बाद किया है, जिसमें नरसिंह के वकीलों ने जिरह की कि इस पहवालन को विरोधियों द्वारा शिकार बनाया गया है। यहां तक कि नरसिंह ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने दो साथी पहलवानों का नाम लिया था जिसमें एक 17 वर्ष का है। नाडा की कानूनी टीम ने भी अनुशासनात्मक समिति के समक्ष इस साजिश के आरोप के खिलाफ जिरह की और कहा कि खुद को डोपिंग मुक्त रखने की जिम्मेदारी नरसिंह की है।
पैनल ने उसके खाने में प्रतिबंधित पदार्थ डालने की बात की पुष्टि करने के लिए शनिवार को नरसिंह के वकील विदुशपत सिंघानिया के अनुरोध पर दो रसोईयों को भी बुलाया था।
नरसिंह को डब्ल्यूएफआई ने दो बार के ओलंपिक पदकधारी सुशील कुमार पर तरजीह देते हुए रियो ओलंपिक के लिए चुना था क्योंकि उसी ने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर 74 किग्रा वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया था। सुशील ने ट्रायल की मांग की थी जिसे महासंघ और दिल्ली उच्च न्यायालय ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ठुकरा दिया था।
सुशील ने आज के फैसले के बाद नरसिंह का समर्थन किया और ट्वीट किया, यह अच्छी खबर है। मेरा समर्थन पहले भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। जाओ मेरे और देश के लिए पदक जीतो।