साइना नेहवाल की नजरें पीले तमगे पर
नई दिल्ली। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010 के स्वर्ण पदक की यादें अभी भी साइना नेहवाल के जेहन में ताजा हैं और वे अगले महीने गोल्डकोस्ट में इस प्रदर्शन को दोहराना चाहती हैं।
8 साल पहले 20 बरस की साइना ने आखिरी दिन स्वर्ण पदक जीता था। वे इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं और उसके इस पदक की मदद से भारत ने पदक तालिका में इंग्लैंड को पछाड़कर दूसरा स्थान हासिल किया था।
साइना ने कहा कि भारत 2010 में पदक तालिका में दूसरे स्थान पर था। आखिरी दिन हमारे नाम 99 पदक थे और भारतीय हॉकी तथा बैडमिंटन महिला एकल मुकाबले बाकी थे। मैंने स्वर्ण पदक जीता और हॉकी टीम ने रजत पदक। मुझे तिरंगे के साथ पोडियम पर खड़े होकर इतना अच्छा लगा कि मैं भूल ही नहीं सकती।
साइना ने 2006 में 15 बरस की उम्र में राष्ट्रमंडल खेलों की टीम स्पर्धा में पदार्पण किया था और न्यूजीलैंड की रेबेका बेलिंगम को 21-13, 24-22 से हराकर भारत को मिश्रित टीम स्पर्धा का कांस्य दिलाया था।
उन्होंने कहा कि 2006 मेरा पहला राष्ट्रमंडल खेल था और हमने टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। राष्ट्रमंडल खेलों में मेरा सफर यादगार रहा है तथा 2014 में चोटों के कारण मैंने भाग नहीं लिया। ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में पीवी सिंधू ने कांस्य और पारुपल्ली कश्यप ने स्वर्ण पदक जीता था। आरएमवी गुरुसाईदत्त को कांस्य और महिला युगल में अश्विनी पोनप्पा तथा ज्वाला गुट्टा को रजत पदक मिला था।
भारत को मिश्रित टीम स्पर्धा में शीर्ष वरीयता दी गई है और साइना को अच्छे प्रदर्शन का यकीन है। उन्होंने कहा कि हम अधिकांश वर्गों में जीतेंगे। चाहे व्यक्तिगत स्पर्धा हो या टीम स्पर्धा। साइना ने हालांकि कहा कि वे इसे दबाव के रूप में नहीं लेतीं, क्योंकि उसे उम्मीद है कि वे भारतीय बैडमिंटन टीम गोल्ड कोस्ट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगी।
उन्होंने कहा कि कोई दबाव नहीं है। हमें कामयाबी के लिए अच्छा प्रदर्शन करना होगा। हमारे पास बेहतरीन बुनियादी ढांचा, शानदार कोच और प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। मुझे उम्मीद है कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। (भाषा)