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Last Modified: गुरुवार, 22 सितम्बर 2016 (00:48 IST)

नीति आयोग ने किया ओलंपिक के लिए 'एक्शन प्लान'

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रियो ओलंपिक में भारत के एथलीट कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। रियो ओलंपिक में भारत को सिर्फ दो ही पदक मिल पाए। जैसे देश के लिए हमारे खिलाड़ियों ने तो पदक जीतने के लिए जी-जान से मेहनत की, लेकिन भ्रष्टाचार और नौकरशाही के कारण उनके पदकों का सपना पूरा नहीं हो पाया। रियो ओलंपिक के बाद हमारे खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानियां सामने आईं। इन खिलाड़ियों की मेहनत को सुनहरी सफलता में बदलने की योजना केंद्र सरकार ने बना ली है। अब केंद्र सरकार ने 2024 के ओलंपिक में 50 पदक जीतने का लक्ष्य बनाया है। केंद्र सरकार के नीति आयोग इस पर कार्य शुरू भी कर चुका है और उसने 20 बिंदुओं का एक्शन प्लान तैयार करके सरकार को दिया गया है। 'लेट्स प्ले' नामक इस कार्ययोजना को नीति आयोग ने तैयार किया है। इसमें भारत में खेल क्षेत्र की दशा सुधारने की कार्ययोजना बताई गई है।  
प्रतिभाओं को तलाश कर सुधार के प्रयास : यह निराशाजनक है कि हमारे देश में हर क्षेत्र में विश्व स्तरीय प्रतिभाएं हैं, लेकिन खेलों के क्षेत्र में ऐसा नहीं है। क्रिकेट, टेनिस और कुछ अन्य खेलों को छोड़ दिया जाए तो अन्य खेलों की स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि रियो ओलंपिक में भारत सिर्फ 2  पदक ही प्राप्त कर सका। नीति आयोग का उद्देश्य यही है कि इन प्रतिभाओं को तलाश करके उनके सुधार किए जाने वाले क्षेत्रों में काम किया जाए।  
हर स्तर पर प्रयास जरूरी : ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन इसका गवाह है कि पिछले 60 वर्षों में इन खेलों पर सीमित ध्यान दिया गया। देश में अभी वह माहौल तैयार नहीं हो पाया है कि भारत के खिलाड़ियों को विश्व के खिलाड़ियों के समकक्ष लाया जा सके। परिवार, समाज, स्कूल, प्रदेश अकादमी और राष्ट्रीय, हर स्तर पर एक बड़े प्रयास की जरूरत है। 
 
खेल भी एक गौरव और प्रतिष्ठा से भरा क्षेत्र : 'खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब' , भारतीय समाज इस मुहावरे पर विश्वास करता है। समाज में खेलों को करियर के रूप में अधिक सम्माजनक दृष्टि नहीं देखा जाता है। नीति आयोग उद्देश्य पर कार्य करेगा कि खेल भी एक गौरव और प्रतिष्ठा से भरा क्षेत्र है और खिलाड़ी को भी देश में बहुत सम्मान दिया जाता है।
 
10 खेलों को प्राथमिकता के आधार पर चुना जाएगा : इस एक्शन प्लान को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दो भागों में बांटा गया है, जो 4  से 8 और 8 से 15 साल की अवधि की होगी। नीति आयोग के मुताबिक जमैका और केन्या जैसे देश ओलंपिक कम खेलों में भाग लेकर प‍दक तालिका में उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। ऐसे अल्पकालिक योजना में 10 खेलों को प्राथमिकता के आधार पर चुनकर उनके लिए एक विशेष कार्ययोजना बनाई जाएगी।
  
पदक जीतने वाले 10 खेलों के लिए 4 साल का प्लान : नीति आयोग का कहना है कि इन 10 खेलों में ऐसे खेल होंगे, जिनमें भारत ने पदक जीता हो या फिर उसका प्रदर्शन बढ़िया रहा होगा। इस कार्ययोजना को लक्ष्य के साथ में चार साल तक चलाया जाएगा, जिसमें विभाग के खिलाड़ियों के कोचिंग ट्रेन, मेडिकल और दवाइयों के सेवन से लेकर उनके शारीरिक क्षमताओं का आकलन उस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 
 
कार्ययोजना की हर चार साल में होगी समीक्षा : ध्यान देने योग्य बात यह कि इस कार्ययोजना की हर चार साल में समीक्षा की जाएगी। इसमें ब्रिटेन जैसे देश से भी सीख लेने का सुझाव दिया गया है, जिसने ओलंपिक में पिछले कुछ दशकों में काफी सुधार किया है। 1968 में ब्रिटेन ने जहां मात्र 13 पदक जीते थे, वहीं 2016 के ओलंपिक में उसने 67 पदक जीते। यह भी उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन ने खेलों में प्रदर्शन के सुधार के लिए एक 'स्पोर्ट्‍स बिजनेस प्लान' बनाया। इस प्लान से ही उसे ओलंपिक में यह सफलता मिली। 
 
स्वदेशी प्रतिभाओं का दोहन :  थिंक टैंक ने दुर्गम आदिवासी इलाकों, गांवों और तटवर्ती क्षेत्रों में ऐसी प्रतिभाओं को पहचानने के लिए कहा है। हरियाणा से पहलवान और झारखंड से तीरंदाज इस बात का उदाहरण हैं कि यहां प्रतिभाओं को बहुत जल्दी पहचानकर उन्हें बढ़ावा दिया जाता है। भारत में प्रति खिलाड़ी सिर्फ 12 हजार रुपए सरकार के द्वारा खर्च किए जाते हैं। इस राशि को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाएंगे ताकि वित्तीय सुविधाओं को देखते हुए ऐसी छुपी प्रतिभाएं सामने आ सकें।
 
अंतरराष्ट्रीय कोचों की भर्ती करने का सुझाव : किसी भी खिलाड़ी के विकास के लिए कोचिंग और सही मार्गदर्शन मौलिक आवश्यकताएं हैं। नीति आयोग ने खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कोचों की भर्ती करने का सुझाव दिया है। साथ ही यह सुझाव दिया गया कि कोचों को भर्ती करने की प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी हो। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि ऐसे कोचों की भर्ती न हो, जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा हो। गुणात्मक और मा‍त्रात्मक आधार पर कोचों के प्रदर्शन की वार्षिक समीक्षा भी की जाए। यह भी मांग की गई है कि अच्छे कोचों के कार्यों को प्रमाण पत्रों, स्कॉलरशिप, वेतन, पदोन्नति देकर और अन्य लाभ दिए जाएं। 
  
बीमा, डोपिंग और शिकायतों पर ध्यान :  खिलाड़ियों के लिए चोटिल होने का भय एक बड़ी परेशानी के रूप में सामने आया है। यह भय खिलाड़ियों की क्षमता को प्रभावित करता है। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि हर तरह के खिलाड़ी को इस भय से मुक्ति दिलाने के लिए 5 से लेकर 35 साल तक बीमा की सुविधा प्रदान की जाए। अगर कोई खिलाड़ी अपना जीवन गंवा देता तो उसके परिवार को इस नुकसान की भरपाई का सुझाव भी नीति आयोग ने दिया है। इसके अलावा महंगी स्पोर्ट्स किट के बीमे की बात भी नीति आयोग ने कही है। 
 
साई के 56 केंन्द्रो की जानकारी मांगी : नीति आयोग ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के 56 केंद्रों की जानकारी मंगाई है, जहां से हाल ही में ओलंपिक खेलों के लिए खिलाड़ी चुने गए हैं। ये केंद्र घटिया फंड, धन की कमी जैसे समस्याएं से ग्रस्त है। समय पर इन केंद्रों को धन और किट मुहैया नहीं हो पाती है। यह भी मांग की गई है कि इन केंद्रों की सभी शिकायतों का जल्द से निराकरण किया जाए और ऐसा माहौल तैयार किया जाए, जहां खिलाड़ी ट्रेनिंग कर सके। विशेषकर बच्चों और महिलाओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े। 
 
खेलों की पहचान कर अकादमियां स्थापित की जाएं : यह भी सुझाव दिया गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में खेलों की पहचान कर अकादमियां स्थापित की जाएं। इन अकादमियों में एक ही छत के नीचे सब जूनियर, जूनियर और सीनियर खिलाड़ियों को शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण के अलावा सभी पहलुओं पर विशेषज्ञों की सलाह भी मिले, जिनसे इनके खेलों में सुधार लाया जा सके।  इसी तरह केंद्र की स्थापना करने की बात भी कही गई है, जहां देशभर से खेलों पर आधारित आंकड़े इकट्ठे किए जाएं। इसके अलावा इस केंद्र में खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के प्रोफाइल रहेंगे। इसके अलावा एक लाइब्रेरी भी बनाई जाए, जिसमें खेलों के प्रदर्शन, अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन, कोचों की रणनीतियों के वीडियोज रहें। 
 
नरसिंह यादव के डोपिंग प्रकरण से छवि हुई खराब : ओलंपिक से पहले नरसिंह यादव के डोपिंग प्रकरण से भारत की छवि खराब हुई। नीति आयोग ने नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी के उपायों को लागू करने के सुझाव दिया है। इसके अलावा महिला उत्पीड़न और उम्र घोषणा में धोखाधड़ी जैसे मामलों पर रोक लगाने का सुझाव भी नीति आयोग ने दिया है। 
 
आईपीएल की तर्ज पर काम :  इस रिपोर्ट में आईपीएल और दुनिया भर के प्रीमियर फुटबॉल क्लबों की सफलताओं की बात कही गई है कि यह किस तरह मार्केटिंग, प्रमोशन की योजनाएं बनाते हैं। इन योजनाओं से विज्ञापनदाओं को आकर्षित करते हैं और खेलों और इनके देखने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है और इन खेलों की आर्थिक परेशानियों का हल भी निकल जाता है। आईपीएल की तर्ज पर ही इन खेलों पर कार्य किया जाए। मार्केटिंग और एडवडरटाइंजिंग में भारी निवेश का सुझाव इस रिपोर्ट में दिया गया है। इसके अलावा फिल्मी सितारों से इन खेलों के प्रति प्रोत्साहन बढ़ाने का सुझाव भी इस रिपोर्ट में है।
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