गोल्ड कोस्ट। राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने में बस दो दिन बाकी हैं लिहाजा भारत की पदक उम्मीदों और छिपे रुस्तमों पर डालते हैं एक नजर :
पीवी सिंधू : ओलंपिक रजत पदक विजेता सबसे बड़ी पदक उम्मीद है। उन्होंने पिछली बार कांसा जीता था और इस बार पदक का रंग बदलना चाहेंगी।
एमसी मेरीकॉम : पैतीस बरस की मेरीकॉम पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेंगी। पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरीकॉम 48 किलो में स्वर्ण की दावेदार हैं। वे अपने पहले और आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों को यादगार बनाना चाहेंगी।
साइना नेहवाल : करियर के लिए खतरा बनीं घुटने की चोट से उबरकर वापसी कर रहीं 2010 की स्वर्ण पदक विजेता साइना यदि फिटनेस बरकरार रख पाती है तो पदक की प्रबल दावेदार होंगी। पिछली बार चोटों के कारण वे इन खेलों से बाहर थीं।
किदाम्बी श्रीकांत : चोटिल कश्यप की गैर मौजूदगी में भारत को पुरुष एकल में पदक दिलाने का दारोमदार श्रीकांत पर होगा। वे 2014 खेलों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन पिछले साल चार सुपर सीरिज खिताब जीते।
निशानेबाजी : राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी में भारत पदकों के मामले में दूसरे स्थान पर है। एक बार फिर निशानेबाजी रेंज से भारत की झोली भरने की उम्मीद है। निशानेबाजी में भारत की दमदार पदक उम्मीदें हैं।
हीना सिद्धू : पंजाब की यह पिस्टल निशानेबाज शानदार फार्म में हैं जिसने कुछ महीने पहले राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। वे महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लेंगी।
मनु भाकर : सोलह बरस की मनु ने कुछ सप्ताह पहले सीनियर विश्व कप में पदार्पण करके दो स्वर्ण पदक जीते। उसने जूनियर विश्व कप में इस प्रदर्शन को दोहराया। अब 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना के साथ उतरेगी।
जीतू राय : सेना का यह निशानेबाज 50 मीटर एयर पिस्टल में लगातार दूसरा राष्ट्रमंडल स्वर्ण जीतना चाहेगा। जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल में भी चुनौती पेश करेगा और गोल्ड कोस्ट में पदक जीतकर रियो ओलंपिक 2016 की नाकामी का गम दूर करना चाहेगा।
एथलेटिक्स : भारत ने 2014 राष्ट्रमंडल खेल में एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था।
नीरज चोपड़ा : बीस बरस का यह भालाफेंक खिलाड़ी अपेक्षाओं का भारी बोझ लेकर उतरेगा। लंदन में कुछ महीने पहले सीनियर विश्व चैंपियनशिप में वे फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके थे। पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में मिला स्वर्ण अभी तक उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सीमा पूनिया : ग्लास्गो में रजत पदक जीतने वाली चक्काफेंक खिलाड़ी सीमा की नजरें पीले तमगे पर होंगी। उन्होंने पिछले महीने फेडरेशन कप में 61.05 मीटर का रिकॉर्ड बनाया। अब देखना यह है कि एशियाई खेलों की चैंपियनशिप सीमा क्या गत स्वर्ण पदक विजेता ऑस्ट्रेलिया की डैनी स्टीवेंस को पछाड़ सकेंगी।
तेजस्विन शंकर : उन्नीस बरस के हाई जंपर ने फेड कप में अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड बेहतर करके उम्मीदें जगाईं।
बैडमिंटन : ग्लास्गो में भारत ने बैडमिंटन में चार पदक जीते और पारूपल्ली कश्यप ने 32 साल बार पुरुष एकल स्वर्ण अपने नाम किया। इस बार सितारों से सजे भारतीय दल से काफी उम्मीदें होंगी।
मुक्केबाजी : पिछली बार भारतीय मुक्केबाजों में से कोई स्वर्ण नहीं जीत सका था, लेकिन इस बार भारत का दमदार दल इस कमी को पूरा कर सकता है।
विकास कृष्णन : भारत के चार विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं में से एक विकास ने बुल्गारिया में स्ट्रांजा स्मृति टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था। मेरीकॉम की तरह उनका भी यह इन खेलों में पदार्पण है और 75 किलो में पदक के प्रबल दावेदार हैं।
अमित फांगल : एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता अमित ने भी स्ट्रांजा टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे अमित पदक के दावेदारों में से हैं।
कुश्ती : कुश्ती में भारत राष्ट्रमंडल खेलों की पदक सूची में भारत दूसरे स्थान पर है और इस बार भी पहलवानों से काफी पदकों की उम्मीद होगी ।
सुशील कुमार : पिछले खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सुशील ने विवादों से भरे दो साल के बाद वापसी की है। वे पुरुषों के 74 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में एक और स्वर्ण जीतना चाहेंगे।
साक्षी मलिक : रियो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी ने ग्लास्गो में रजत पदक जीता था। वे 62 किलो फ्रीस्टाइल में पदक की दावेदार होंगी।
विनेश फोगाट : ग्लास्गो की स्वर्ण पदक विजेता विनेश रियो ओलंपिक के दौरान चोटिल हो गईं लेकिन एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
भारोत्तोलन : विश्व चैम्पियन मीराबाई चानू (48 किलो) के नाम राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड है। उनसे एक बार फिर स्वर्ण की उम्मीद होगी।