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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 2 सितम्बर 2008 (17:38 IST)

रणनीति बदलेंगे पहलवान

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भारतीय कुश्ती को बीजिंग ओलिम्पिक में सुशील कुमार के जरिए न सिर्फ कांस्य पदक मिला, बल्कि वह सीख और नई तकनीक की जानकारी भी मिली जिससे उसे राष्ट्रमंडल और लंदन ओलिम्पिक में और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

सुशील के साथ बीजिंग ए उनके गुरू महाबली सतपाल ने आज यहाँ हुकुमसिंह स्मृति दंगल की घोषणा के अवसर पर पत्रकारों से कहा ‍कि हमें अब पता चल गया है कि कहाँ सुधार करना है। हमने कुश्ती में ए बदलाव देखें और उन्हें अपनाने के लिए पूरी व्यवस्था में बदलाव कर रहे हैं। अब हमारा प्रशिक्षण और प्रतियोगिताएँ नए तरीके से ही चलेंगी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेल (2010) पहली बार हमारे यहाँ (दिल्ली) हो रहे हैं और वहाँ हमें इन बदलावों का बहुत फायदा मिलेगा।

बीजिंग में भारतीय पहलवानों के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा कि सुशील ने वास्तव में पदक छीना है क्योंकि उसने 45 मिनट में तीन कुश्तियाँ लड़ी और फिर पदक वाले मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी को नकी टाँग पकड़ाई गई थी, जिसमें जीत दर्ज करना बहुत मुश्किल होता है।

सतपाल ने कहा कि योगेश्वर दत्त का ग्रुप आसान था लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था जबकि सुशील का ग्रुप काफी कड़ा था। इस बीच भारत की जूनियर कुश्ती टीम ने दोहा में एशियाई कैडेट (अंडर-17) में पाँच स्वर्ण पदक जीते जिसमें तीन स्वर्ण पदक दिल्ली के पहलवानों ने हासिल किए।